पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/४४२

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अमेरिकाका नया साम्राज्यवाद ४२६ पुरानी नीतिको अपना लिया है और जिस प्रकार ब्रिटेन तुर्कीकी रक्षा रूससे सदा करता आया है, उसी प्रकार आज अमेरिका रूसको डार्डनेल्ससे दूर रखना चाहता है । यह ख्याल किया जाता था कि युद्धके वाद इटलीमे 'वैटिकन' (Vatican) का प्रभाव वहुत घट जायगा । सन् १९२६ के समझौतेके वादसे मुसोलिनीको वैटिकनका समर्थन प्राप्त था। ससारके सभी कैथलिक ईसाइयोपर वह भरोसा कर सकता था। किन्तु मुसोलिनीके अन्तके वाद यह आशा की जाती थी कि प्रतिक्रियाके इस गढका भी पतन होगा। किन्तु वैटिकनके उत्कर्पको जो तात्कालिक धक्का पहुँचा था उससे वह अपनेको सँभाल सका है और इसका कारण अमेरिका है । पोपने अपनी नीतिमे इधर परिवर्तन किया है । शताब्दियोतक वैटिकनकी नीति यूरोपके कैथलिक देशोसे ही सम्बन्ध रखती थी। किन्तु आज पोपको यह मालूम पड़ता है कि भविष्यमे प्रोटेस्टेण्ट अमेरिका ही उसका घनिष्ठ मित्र होगा और उससे ही उसको धनकी सहायता प्राप्त होती रहेगी। इसीलिए गत फरवरी मासमे 'कार्डिनलो' के चुनावमें पोपने इटलीके उम्मीदवारोकी उपेक्षा कर उत्तरी और दक्षिणी अमेरिकाके लोगोको ही चुना है । इसी प्रकार युगोस्लाविया, रूमानिया और जर्मनीके लिए अमेरिकाके कैथलिक ही 'वैटिकन' के राजदूत चुने गये है । यह नीति इस बातको प्रदर्शित करनेके लिए वर्ती गयी है कि वैटिकनकी नीति अमेरिकाकी नीतिसे सम्बद्ध है । इस नीतिका पुरस्कार भी वैटिकनको मिला है। अमेरिकाके राजनीतिज्ञ 'वैटिकन' का समर्थन करते है और इटली निवासी यह समझने लगे है कि यदि वैटिकनका विरोध किया जायगा तो इटलीको अमेरिकासे आर्थिक सहायता नही मिलेगी। इस प्रकार हम देखते है कि सर्वत्र अमेरिकाका समर्थन प्रतिगामी शक्तियोको ही प्राप्त है । फासिस्ट और रायलिस्ट इस नीतिका स्वागत कर रहे है और उनको यह आशा हो रही है कि उनके अव अच्छे दिन पानेवाले हैं । किन्तु उदार दल और समाजवादी दल वहुत चिन्तित है। जो लोकतन्त्रके समर्थक है वह कम्युनिस्टोकी अपेक्षा कही अधिक परेशान है । उनका ख्याल है कि इस नये साम्राज्यवादका अर्थ युद्धकी पुनरावृति है । उनका कहना है कि फ्रेकोके प्रति भी अमेरिकाका रुख वदलेगा। वह यह भी समझते है कि यूरोपके ध्वस्त प्रदेशोकी सहायता राजनीतिक शर्तोंके साथ ही की जायगी। सबसे अधिक भय तो इस बातका है कि यू० एन० ओ० की संस्था निरर्थक हो जायगी । अमेरिका और रूस दोनो इस सस्थाकी तभीतक परवाह करते है जबतक उनका इससे काम निकलता है। सामुदायिक सुरक्षाकी कोई प्रणाली वन नही पाती । जो गति लीग श्राव् नेशन्सकी हुई वही इसकी भी होनेवाली है । अभी पेरिसमे जो सम्मेलन हुअा था वह विफल हो गया । मिस्टर मार्शलके प्रस्तावको मोशियो मोलोटोवने स्वीकार नहीं किया, किन्तु इगलैण्ड और फ्रासमे समझौता हो गया है और इसी प्रस्तावके अनुसार वह मिलकर कार्य करेगे । रूस को छोडकर अन्य यूरोपीय राष्ट्रोको इनकी ओरसे निमन्त्रण दिया जायगा और शीघ्र ही इनका एक सम्मेलन पेरिसमे होगा । यू० एन० प्रो० दो भागोमे विभक्त हो रहा है और