४२६ राष्ट्रीयता और समाजवाद करते हैं, किन्तु व्यवहार मे कुछ और ही है । अनमके एक चोटीके कम्युनिस्ट नेताने थोरे ( Thorez---फ्रेच कम्युनिस्ट पार्टीका नेता) के सम्बन्धमे हिकारतसे यह कहा कि वह इस पक्षमे है कि अनम-निवासी अन्तमे अपनी स्वतन्त्रता प्राप्त करे ( "finally arrive at their independence" ), वह कुढ कर हँसा और उसने कहा कि क्या अच्छा रवड़दार लचीला वाक्य है । आप इसे कोई प्राकार दे सकते है और इसका कोई अर्थ कर सकते है । हम इन सज्जनोपर निर्भर नही कर सकते । इस समय फ्रासमे इनकी पार्टी सबसे अधिक प्रभावशाली है, किन्तु देखिये फासीसी इस समय हिन्द-चीनमे क्या कर रहे है ।" .."हिन्द चीनमे मुट्ठीभर फ्रेच कम्युनिस्ट है, संगो ( Saigon ) में केवल २० थे। मेरे अनमनिवासी कम्युनिस्ट मित्रने मुझे बताया कि इसमेसे केवल एक उनके साथ सहयोग करता था। शेष तटस्थ रहे, इन फ्रेच कम्युनिस्टोने हिन्द-चीनकी कम्युनिस्ट पार्टीके लिए एक पत्र तैयार किया था । फ्रेचोका नगरपर कब्जा होनेके दो दिन बादका अर्थात् २५ सितम्वर- का, यह पत्र था, मै इस पत्रको पढ पाया था, किन्तु इसकी नकल न रख सका । मैंने उससे नोट ले लिये थे। इस पत्रका आशय इस प्रकारका था : -"इस पत्रमे अनम-निवासी कम्युनिस्टोको यह सलाह दी गयी थी कि पूर्व इसके कि वह जल्दीमे कुछ करेंउनको चाहिये कि यह निश्चय कर ले कि, उनका संघर्ष 'सोवियत नीतिकी आवश्यकताअोको पूरा करता है या नही ? इस पत्रने साथ-साथ उनको चेतावनी दी कि अन्य देशकी स्वतन्त्रताके लिए 'समयसे पूर्व जो कार्यवाही' होगी वह कदाचित् ‘सोवियत की योजनाके अनुकूल न हो ।' सोवियतकी योजनामे यह हो सकता है कि वह फ्रासको अपना पक्का दोस्त बनाना चाहता है और उस अवस्थामे अनमका स्वतन्त्रताका आन्दोलन इस योजनाकी सफलतामे वाधक होगा । इसीलिए फ्रेच कम्युनिस्टोने धैर्य रखनेकी नीतिका अनुसरण करनेको कहा था।" पुस्तकके ये उद्धरण इस वातका ताजा प्रमाण पेश करते है कि सोवियत रूसकी वैदेशिक नीतिको कार्यान्वित करनेके लिए ही कम्युनिस्ट पार्टियोका उपयोग किया जाता है । यह प्रसन्नताकी बात है कि हिन्दचीनमे जो कुछ हो रहा है उसकी जिम्मेदारी फ्रांसपर भी है । वह इससे नही बरी किये जा सकते । उनका गवर्नमेण्टमे होते हुए केवल तटस्थ रहना पर्याप्त नही है । फ्रासके कम्युनिस्टोकी इसमे दोहरी चाल है । एक तो यह कि इस प्रकार वह सोवियत रूसकी वैदेशिक नीतिके विरुद्ध कोई कार्यवाही नही करते और रूसको सन्तुष्ट रखते है, दूसरे वह अपने देशके अन्य दलोके मुकावलेमे अपनेको समान रूपसे राष्ट्रवादी सिद्ध करना चाहते है, यह लोग भी साम्राज्यवादी भावनासे सर्वथा मुक्त नही है। फ्रेच कम्युनिस्ट यदि हिन्द-चीनकी कोई सहायता नही कर सकते तो न करें, किन्तु हिन्द-चीनवासियोको भुलावेमे लाना और उनपर यह दवाव डालना कि सोवियत रूसके हितोकी रक्षाके लिए उनको स्वतन्त्रताके अान्दोलनको स्थगित करना चाहिये सर्वथा अनुचित है। ऐसा मालूम पड़ता है कि जवतक एशियाके सब देश स्वतन्त्र नहीं हो जाते तबतक
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