. ४१२ राष्ट्रीयता और समाजवाद एक प्रदेशसे दूसरे प्रदेशमें जाना बहुत कठिन हो रहा है । कोई सम्मिलित आर्थिक नीति नहीं स्थिर हो पाती। मित्रराष्ट्रोमें परस्पर मतभेद होनेके कारण सरकारको पग-पगपर विरोधका सामना करना पडता है। इस स्थितिका उत्तरदायित्व किसी न-किसी अंगमे वहाँकी सरकारपर भी है । यदि वह निष्पक्ष भावसे कार्य करती तो कदाचित् मित्रराष्ट्रोके परस्पर विरोधको शान्त कर सकती। किन्तु डाक्टर फिग्लके मन्त्रिमण्डलका सुझाव ऐग्लो-अमेरिकन समुदायकी ओर है । डाक्टर फिग्ल और उनके साथी इस तथ्यको भूल गये है कि उनके देशकी आर्थिक पद्धति डैन्यूवकी पद्धतिसे पृथक नहीं की जा सकती और आस्ट्रियाके उद्योग-व्यवसायके साधनका अधिकाश सोवियत रसके क्षेत्रमे है, अतः रूसके लिए आस्ट्रियापर आर्थिक दवाव डालना बहुत सुगम है और यह दबाव डाला जा रहा है । इसका यही फल होनेवाला है कि पूर्वी ब्लाकमें आस्ट्रिया पूरी तरह जज्य हो जायगा । रूस चाहता है कि व्यापारके सम्बन्ध में उनका ग्रास्ट्रियाके साथ समझौता हो जाय । किन्तु आस्ट्रियाकी सरकार इसके लिए तैयार नहीं है। उनका कहना है कि जबतक मित्र राष्ट्रोंमें मतभेद कायम है, वह अकेले रूससे समझौता नही करेगी। इस कारण रुस प्रास्ट्रियाकी सरकारको इंगलैण्ड और अमेरिकाका उपकरण वननेका दोपी ठहराता है । इस झगड़ेका एक दूसरा कारण भी है । पूवी ग्रास्ट्रियामे जर्मनीकी जो पूंजी लगी है, उस सवको रूस अपने अधीन करना चाहता है और उसे हरजानेके रूपमे ले लेना चाहता है। जो उद्योग-व्यवसाय प्रान्श्लुस ( Anschluss ) के वादसे आस्ट्रियाकी पूंजीकी सहायतासे कायम किये गये है, उनको भी रूस ले लेना चाहता है । रूसका यह दावा स्वीकार नही किया जा सकता, क्योकि सन् १९३८ और सन् १९४५ के बीच आस्ट्रियाके आर्थिक साधनो- का ७५ प्रतिशत अनिवार्य रूपसे जर्मन युद्ध यन्त्रका अपरिहार्य अग बना लिया गया था । रूसके इस दावेके जवावमे इंगलैण्ड और अमेरिकाका कहना है कि उसी जर्मन पूंजी और व्यवसायके पाने का रूस हकदार है जो आन्श्लसके पहलेसे आस्ट्रियामे लगी थी और कायम थी। वह उन व्यवसायोको भी इसमे शामिल करते है जो पीछेसे जर्मन पूंजीकी सहायतासे कायम हुए। रूसकी इस मांगको व्यर्थ करनेके लिए आस्ट्रियाकी पार्लमेण्टने २६ जुलाई सन् १९४६ को कुछ चुने व्यवसायोके राष्ट्रीकरणका कानून बना दिया है । रूसी क्षेत्रमे तेलके कुएँ है उनका राष्ट्रीकरण हो गया है, इसी प्रकार डैन्यूव स्टीमगिप कम्पनीका और विजलीके व्यवसायके भागोका जिनकी मिलकियत जर्मनोको है राष्ट्रीकरण हुआ है। सोवियत रूस इनको अपनी मिलकियत घोपित कर चुका है। उसकी शिकायत है कि केवल उन्ही व्यवसायोंका राष्ट्रीकरण हुआ है जो रूसी क्षेत्रमे पाये जाते है । उनका कहना है कि जिन व्यवसायोमें पश्चिमी राष्ट्रोकी पूंजी लगी है वे राष्ट्रीकरणसे बच गये है । इस प्रकार प्रास्ट्रियाकी हुकूमतको पक्षपात दोपी ठहराता है । यह वात कुछ अंशमे ठीक भी है, किन्तु यह सर्वथा सत्य नही है कि कोई भी ऐसा व्यवसाय राष्ट्रीकरणके लिए नही चुना गया है, जिसमे पश्चिमके राष्ट्रोकी पूंजी लगी हो। उदाहरणके लिए जिस्टर्सडार्फ ( Zistersdorf ) के तेलके कुप्रोमे ब्रिटिश, डच और अमेरिकन फर्मोके स्वत्व है । इसी तरह 'लेडर वैक' मे बहुत-कुछ फ्रेच पूंजी लगी हुई है । वस्तुत. आस्ट्रियामें पश्चिमकी
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