४०४ राष्ट्रीयता और समाजवाद । तेजीसे बढ़ रहा है। अमेरिकाका साम्राज्यवाद संसारके लिए एक बड़ा खतरा बनता जाता है । हम जानते है कि अमेरिका कम्युनिज्मका सबसे बडा विरोधी रहा है । आज कई पत्र खुलेआम रूसके विरुद्ध ऐटम वमका प्रयोग कर उससे लडाई मोल लेनेके लिए उत्सुक है । वे चाहते है कि पूर्व इसके कि रूस ऐटम बमकी खोजमे सफल हो और नये हथियार तैयार कर सके उसके विरुद्ध लड़ाई ठन जानी चाहिये । इंगलैण्डमे भी कुछ 'टोरी' इस तरहकी बात करते देखे गये है । पुनः 'वैटिकन' की अोरसे सोवियत यूनियनके विरुद्ध जेहाद बोल दिया गया है । चीनमे अमेरिका वहाँके कम्युनिस्टोके विरुद्ध च्यांगकाई शेककी सहायता कर रहा है। अमेरिकाने प्रशान्त महासागरको अपना प्रभावक्षेत्र वना लिया है, जिस प्रकार सोवियत रूसने पूर्वी यूरोपको अपना प्रभावक्षेत्र बना लिया है । रूस निकट पूर्व और सुदूर पूर्वमे अपने प्रभावका विस्तार कर रहा है। इन प्रदेशोमे अमेरिकाका भी स्वार्थ है । जापानमे अकेले अमेरिकाका अधिकार है और वह पासके द्वीपोमे अड्डे बना रहा है.। इस प्रकार हम देखते है कि अमेरिका और रूसके संघर्षके क्षेत्र वढते जाते है । रूसको अमेरिकासे डरनेका पर्याप्त कारण है । अमेरिकाकी कम्युनिस्ट- विरोधी नीतिने उसको और सशंक कर दिया । अमेरिकाके पास ऐटम बम है। उसकी नौ-शक्ति सबसे बड़ी है और उसके पास उद्योग और व्यवसायके प्रचुर साधन है । इसके विपरीत रूसपर बार-बार पश्चिमसे आक्रमण हुए है और आज वह देखता है कि हर जगह उसके विरुद्ध फौजी तैयारी हो रही है । आज उसकी आर्थिक अवस्था गिरी हुई है। उसे अभी लड़ाईके जख्म भरने है। उजड़े हुए स्थानोको फिरसे आवाद करना है। अमेरिकाकी शक्ति बहुत प्रवल हो गयी है । उसकी दोनो पार्टियाँ पूंजीवादी पार्टियाँ है । रूस विस्तारके लिए अवकाश चाहता है और उसके लिए उसको कोई उचित वहाना चाहिये । समझमे नही आता कि अमेरिकाको किससे भय है । उसपर आक्रमण करना किसीके लिए भी सम्भव नहीं है । तिसपर भी वहाँके कुछ पत्रकार और राजनीतिज्ञ रूसपर आक्रमण करनेकी वात किया करते है । बुलिट साहब ( Bullit ) तो कहते हैं कि लड़ाई शीघ्र प्रारम्भ हो जानी चाहिये । वैलेसका पत्र जो हालमे प्रकाशित हुआ है यह सिद्ध करता है कि अमेरिका निश्चित रूपसे रूसके विरोधमे अग्रसर हो रहा है। वैलेस लिखते है कि अमेरिका हजारों मीलके फासलेपर हवाई और समुद्री अड्डे बना रहा है, जिनका उपयोग केवल रूसके विरुद्ध ही हो सकता है। रूसको पता है कि कुछ फौजी सलाहकार भावी युद्ध रोकनेके लिए युद्धकी सलाह दे रहे है । रूसको मिस्टर विराँके विचार अवगत है । वह जानता है कि उनकी नीति रूसियोसे समझौता करनेकी नही है। किन्तु वह इतनी शक्ति संगठित करना चाहते है जिससे रूसको दबना पडे और वह अमेरिका- की बात माननेके लिए विवश हो जाय । वैलेसने इस नीतिका विरोध किया था। वैलेसका कहना है कि सबको नये आधारपर परस्परके सन्देहोको दूर करनेका प्रयत्न और समझौता करना चाहिये । किन्तु मिस्टर ट्र मन (Truman) ने वैलेसको उनके पदसे हटाकर यह स्पष्ट कर दिया है कि वह विर्सकी गलत नीतिको जारी रखना चाहते है । अमेरिका हर जगह अपने ढंगसे ही अपनी शर्तोपर सुलह चाहता है और इसमे इंगलैण्ड उसके साथ है।
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