पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/३३६

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योग्य शिक्षकोकी कमी ३२१ हुई, उसके कारण इन देशोके युवकोको वे कार्य करने पडे, जो शायद शान्तिको अवस्थामें न करने पडते और इसी कारण उनको नेतृत्वका भी अवसर मिला। दूसरी ओर वे देश जो इस मतका विरोध करते है वे ऐसे है, जहाँ परम्पराके प्रति वड़ा आदर है और जहॉके युवकोको राजनीतिक चेतनाके विकासका ऐसा अवसर नहीं मिला। इसके अलावा इन देशोमे या तो गुप्त आन्दोलन नही हुए या ये आन्दोलन उतने उग्र और प्रवल नही थे। हमने संक्षेपमे इस अन्तरका कारण बताया । किन्तु प्रश्न यह है कि इन संस्थानोके लिए इष्ट क्या है ? इसमे सन्देह नही कि जब हम इस प्रश्नका निर्णय करे, हमको देश- विशेषकी परिस्थिति तथा वहाँके युवकोकी मनोवृत्तिको ध्यानमे रखना होगा । हम इनकी सर्वथा उपेक्षा नही कर सकते । अव फर्मानोका युग नही है। इसके अलावा 'पुरानी पीढी और नयी पीढीमे इतना अन्तर है कि पुरानी पीढीके वे लोग जो नयी पीढ़ीके सम्पर्कमें नही आये है और जिनको उनका विश्वास नही प्राप्त है वे उनकी मनोवृत्तिको ठीक-ठीक समझ भी नही सकते । ऐसी अवस्थामे उनको इस प्रश्नका निर्णय करने में धैर्यसे काम लेना चाहिये । १९४२ के आन्दोलनमे प्रमुख भाग लेनेके कारण तथा विद्यार्थी- आन्दोलनका मुख्य ध्येय राजनीतिक होनेके कारण हमारे देशके विद्यार्थियोने राजनीतिक क्षेत्रमे अपना स्थान बना लिया है। यही अवस्था चीनकी रही है । इसलिए यदि वे कुछ स्वतन्त्रताकी मॉग करे तो इसपर हमको आश्चर्य न होना चाहिये । हम चाहते है कि कुछ स्वतन्त्रता उनको दी जाय । इसमे कई लाभ है । पहले तो ऐसा करनेसे उनका आप्यायन होगा । पुन. काग्नेसके नेताअोको युवकोके विचारोसे अवगत होनेका अवसर मिलता रहेगा। पर इस स्वतन्त्रताकी मर्यादा भी निश्चित कर देनी होगी। जबतक कोई प्रश्न विचार-कोटिमे हो तबतक उसपर अपना विचार व्यक्त करनेके लिए स्टूडेण्ट्स काग्रेसको स्वतन्तता रहनी चाहिये, किन्तु जव राष्ट्रीय काग्रेस उस प्रश्नपर अपना निश्चय दे दे, तब वाद-विवाद बन्द हो जाना चाहिये । इसके अलावा कार्यमे एकता होनी चाहिये । इसमे भिन्नता ठीक नही है । ऐसा होनेसे परस्परका सम्बन्ध कटु हो जायगा, जो देशके लिए हानिकर होगा। इस समय स्टूडेण्ट्स काग्रेस राष्ट्रीय काग्रेससे सम्बद्ध नही है । हम समझते है कि जान्तेका सम्बन्ध मुनासिव भी न होगा। इसलिए मर्यादित स्वतन्त्रता देना और भी ठीक होगा।' योग्य शिक्षकोंकी कमी अभी कुछ दिन हुए ट्रेनिंग कालेज प्रयागके विद्यार्थियोका चुनाव करनेके लिए गवर्नमेण्टद्वारा नियुक्त कमेटीकी वैठकमे सम्मिलित होने मै प्रयाग गया था। प्रावेदन- पत्रोके देखनेसे पता चला कि प्रथम श्रेणीके विद्यार्थियोकी सख्या बहुत थोड़ी है, एक प्रकारसे १. 'जनवाणी' जनवरी, सन् १९४७ ई० २१