विद्यार्थियोंका राजनीतिमे स्थान ३१६ इस विषयमे अपनी कोई व्यापक नीति स्थिर करे और समस्त देशके लिए अपनी सरक्षतामें विद्यार्थियोकी कोई सस्था स्थापित करे तो कम्युनिस्टोका प्रभाव तेजीसे कम हो सकता है । किन्तु मजदूर दलकी उदासीनताके कारण काम नहीं हो रहा है । यह उदासीनता विद्यार्थी- सस्थानोंतक ही सीमित नहीं है। किन्तु युवक-सघके विपयमे भी ऐसी ही उदासीनता पायी जाती है। पहले एक लेवर लीग अाव् यूथ ( Labour League of Youth ) था, किन्तु कुछ समयसे यह सस्था मृत-सी है और मजदूर दल उसको फिरसे संगठित करनेमे कोई निश्चित मत नही रखता । अभी हालमे जो मजदूर सम्मेलन वोर्नमथ ( Bournemouth ) मे हुआ था वहाँ लीगको फिरसे सगठित करनेके प्रश्नपर विचार किया गया, किन्तु प्रस्ताव गिर गया । तिसपर भी जगह-जगह मजदूर युवकोके समूह वन रहे है और शीघ्र ही मजदूर दलको इस विपयमे कोई-न-कोई निश्चय करना पड़ेगा। एक राष्ट्रीय संस्थाका न होना वहाँके मजदूर विद्यार्थियोको खटकता है और वह इस वातका प्रयत्न कर रहे है कि मजदूर दल इस कमीको शीघ्र पूरा करे। अभी करीव पाँच महीने हुए कि केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी लेवर क्लवने मजदूर दलके सहयोगसे समाजवादी युवकोका एक अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन किंग्स कालेजमें आमन्त्रित किया था, जिसमे हालैण्ड, बेलजियम, फ्रास, नार्वे, स्वीडन, डेनमार्क और इटलीसे प्रतिनिधि आये थे। कई अन्य देशोके भी प्रतिनिधि बुलाये गये थे, किन्तु कुछ कठिनाइयोके कारण वह सम्मिलित न हो सके ।' सम्मेलनमे आये हुए प्रतिनिधियोने जो विवरण दिया, उससे पता चलता है कि यूरोपके विविध देशोमे विद्यार्थी तथा युवक सस्थानोकी अच्छी उन्नति हो रही है और इस विषयमे ब्रिटिश मजदूर दल बहुत पिछडा हुआ है । अन्य देशोमे इग्लैण्डकी अपेक्षा कही बड़े पैमानेपर युवक-सगठन बन चुके है और यह केवल विश्वविद्यालयोतक ही नही सीमित है । इटलीमे सोशलिस्ट युवक-सस्थाके सदस्योंकी संख्या एक लाखसे ऊपर है, वेलजियममे २० हजारसे ऊपर और नार्वेमे ५० हजारसे ऊपर है । अनेक देणोके युवकोने गत युद्धमे भूमिगत (गुप्त) आन्दोलनमे अच्छा भाग लिया था और अपनी वीरता, साहस और सगठन-शक्तिका परिचय दिया था। यह बात इटलीपर विशेप रूपसे लागू है और यही कारण है कि वहाँके युवक-सघका सोशलिस्ट पार्टीमे अच्छा प्रभाव है । इस कान्फरेन्समे एक बडे महत्त्वके प्रश्नपर विचार हुआ । प्रश्न यह था कि इन विद्यार्थियो और युवक-सस्थानोका अपनी पार्टीसे क्या सम्बन्ध रहे । यह प्रश्न हमारे लिए भी महत्त्वका है । हमको केवल स्टूडेण्ट्स काग्रेसके सम्बन्धमे ही विचार करना है । हमारे यहाँ प्रश्नका रूप यह है कि इस विद्यार्थी-संस्थाका राष्ट्रीय काग्रेससे क्या सम्बन्ध हो? क्या स्टूडेण्ट्स काग्रेस राष्ट्रीय काग्रेससे स्वतन्त्र हो ? क्या उसको अपनी नीति निर्धारित करनेकी और उन नीतिको स्वीकृत करानेके लिए राष्ट्रीय कानेसपर दवाव डालनेकी स्वतन्त्रता दी जाय ? उक्त कान्फरेन्समे आये हुए प्रतिनिधियोमे इस विपयपर तीन मतभेद था । इटली,
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