वर्ग-संघर्षकी आवश्यकता २७५ जाय जिसमें आजकी तरह उत्पादनके साधनोपर किसी एक वर्ग-विशेपका अधिकार न हो, वल्कि समूचे समाजका अधिकार हो । ऐसे ही नये समाजमे हम युगोसे चले आते हुए शोषण और वर्ग-विभेदका अन्त कर सकेगे और समाजके हर परिश्रमी सदस्य को उसके व्यक्तित्वके विकासका उचित अवसर प्रदान कर सकेगे । भारी भ्रम समाजवादियोके विरुद्ध अनेक स्वार्थी और अनभिज्ञ लोगोके द्वारा, विशेषकर शोपक- वर्गके सदस्योद्वारा, यह अभियोग लगाया जाता है कि वे समाजके भीतर वर्ग-विद्वेषकी सृष्टि कर रहे है । इन लोगोके कथनानुसार समाजमे शान्ति कायम है किन्तु समाजवादी लोग विभिन्न वर्गोको आपसमे लडाकर अशान्ति पैदा करना चाहते है, वे शान्तिके शत्रु और घृणाके प्रचारक है, पर यदि हम वस्तुतः स्थितिकी जाँच करे तो इससे अधिक यथार्थतासे दूर और कोई बात न होगी। सच तो यह है कि जो लोग समाजवादियोके विरुद्ध इस प्रकारका अभियोग लगाते है वे न तो समाजकी वास्तविकतापर ध्यान देते है, न उन्हे सामाजिक विकासके नियमोका पता है और न वे वर्गयुद्धका ठीक-ठीक अर्थ ही समझते है । शोषकवर्गके अनेक सदस्य तो जान-बूझकर लोगोके मनमे भ्रम पैदा करनेके लिए ही ऐसी मन-गढन्त वातोका प्रचार करते है । वर्ग-युद्ध समाजवादियोका पैदा किया हुआ नही है । वह तो समाजमे हमेशा चलता रहता है और उसी समयसे चलता आया है जवसे वर्गोकी उत्पत्ति हुई । और यदि हम गम्भीरतापूर्वक, मार्क्सवादी व्याख्याकी रोशनीमे, अवतकके तहासका अध्ययन करे तो हमे पता चलेगा कि अवतक समाजमे जो प्रगति हुई है प्रगति की एक मजिलसे उठकर जव जव मानव-समाज एक दूसरी ऊँची-मजिलपर पहुँचा है, तब-तव यह कार्य वर्ग-संघर्षके द्वारा ही सम्पादित हुआ है । वर्ग-सघर्प ही समाजिक प्रगतिका अाधार रहा है। समाजवादी लोग वर्गसंघर्पको पैदा नही करते और न वे उसको पसन्द ही करते है । उनका उद्देश्य तो जैसा कि हम कह चुके है, समाजका ऐसा संगठन करना है जिसमे परस्पर-विरोधी वर्गों और उनमे निरन्तर चलनेवाले वर्ग-संघर्पका अन्त हो जाय । लेकिन चूंकि हम किसी सामाजिक उद्देश्य की सिद्धि तभी कर सकते है जव कि हम सामाजिक प्रगतिके नियमोका अध्ययन करे, और उन नियमोके अनुसार अपने कार्यकी दिशा निर्धारित करे, इसलिए समाजवादियोको वाध्य होकर वर्ग-सघर्षको अपनाना पड़ता है। वर्ग-सघर्षके द्वारा ही समाजकी उन्नति होती आयी है, समाजवादी इस कठोर सत्यकी उपेक्षा नही कर सकते । ऐसी अवस्थामे जव कि समाजमे वर्ग-सघर्ष चल रहा है तब तो हमारे लिए केवल यही रास्ता वच रहता है कि हम यह चुन ले कि हमे शोषक और शोपित इन दोनो वर्गोमेसे किसका साथ देना है। घृणाका प्रचार समाजवादियोपर घृणा फैलानेका इल्जाम भी वेबुनियाद है। जो समाजवादी अन्ततोगत्वा वर्ग-विहीन समाजकी रचना करना चाहते है उनके सम्बन्धमे ऐसा किस
पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/२९०
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।