. २६८ राष्ट्रीयता और समाजवाद है। ये सभी उत्पादनके साधनोसे रहित है अर्थात् मिलो या कारखानोके मालिक वे खुद नही है । सभी अपनी श्रमशक्ति वेचकर मजदूरी कमाते है । उत्पादनके क्रममे लगे हुए दूसरे लोगो अर्थात् मिलमालिको आदिके प्रति सामूहिक रूपसे इनका सम्बन्ध एक सरीखा है। इसलिए सभी समूहोके मजदूर एक ही मजदूर श्रेणीमे गिने जायेंगे । इसी प्रकार पूंजीपतियोका भी एक वर्ग है । चाहे कपडेके मिलके मालिक हो, चाहे खानोके मालिक हो अथवा हथियारोके कारखानोके मालिक हो, सभी उत्पादनके क्रममे एक-सा भाग रखते है। ये सभी उत्पादनके साधनोके मालिक है, सभी मजदूरोकी श्रमशक्ति खरीदकर उससे नफा कमाते है । उत्पादनके क्रममे लगे हुए दूसरे समूहोके साथ उनका सम्बन्ध एकसा है। आधारभूत वर्ग यद्यपि अबतकका हर समाज उत्पादक सम्बन्धोके आधारपर कई वर्गोमे वाँटा जा सकता है, किन्तु आधारभूत रूपसे हर समाजमे दो ही वर्ग पाये जाते है-एक तो वे लोग जिनका स्थान समाजमे मालिकोका होता हे और उत्पादनके साधनोपर जिनका एकाधिपत्य होता है, दूसरा वह वर्ग जिसका काम हुक्म वजा लानेका होता है, जो पहले वर्गके लिए दास बनकर काम करता है और उसके द्वारा शोपित किया जाता है। ये दोनो वर्ग परस्पर एक-दूसरेके विरोधी होते है । दोनो आधारभूत वर्गोमे सदा प्रत्यक्ष या परोक्ष रूपमे वर्गसंघर्ष जारी रहता है । प्राचीनकालमे दास और स्वतन्त्र मालिक, मध्ययुगमे सामन्तगण और कृपकदास ( serf ) और आजकलके पूंजीवादी समाजमे पूंजीपति और मजदूर इसी प्रकारके आधारभूत वर्ग है । इन आधारभूत वर्गोके अतिरिक्त भी समाजमे कई प्रकारके वर्ग पाये जाते है । परन्तु उन वर्गोका स्वार्थ अन्ततोगत्वा इन्ही आधारभूत वर्गोमेसे किसी एकके साथ होता है । इसमे शक नहीं कि कुछ वर्ग ऐसे भी पाये जाते है जिनका स्वार्थ थोडाबहुत दोनो वर्गोके साथ होता है, परन्तु इन दो आधारभूत वर्गोसे स्वतन्त्र इनका कोई अपना पृथक् स्वार्थ नही होता । प्रसिद्ध समाजवादी विद्वान् वुखारिनके मतानुसार समाजमे अाधारभूतवर्गोके अतिरिक्त निम्नलिखित वर्ग पाये जाते है मध्यम वर्ग ( middle classes )-इस वर्गमे वे सामाजिक आर्थिक समूह आते है जो कि समाजकी संगठन-व्यवस्थाके लिए आवश्यक है। इन लोगोका स्थान आधारभूत शोपक और शोपित वर्गोके वीचका हुआ करता है । दिमागी काम करनेवाले श्रमिक इसी श्रेणीमे पाते है। परिवर्तनशील वर्ग ( transition classes )--इन वर्गोमे वे समूह आते है जो प्राचीन समाज-व्यवस्थासे निकलते है, पर अब जिनकी शकल बदलती जा रही है और जो दिन-ब-दिन विरोधी वर्गोमे बँटते चले जा रहे है। किसानो और कारीगरोके वर्ग इसी प्रकारके है । दिन-ब-दिन इस वर्गके सदस्य निकलकर सम्पत्तिजीवी या मजदूर वर्गमें पिलते जा रहे है । धनी किसान व्यापारी बनता है और धीरे-धीरे पूरा पूंजीपति वन
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