२५२ राष्ट्रीयता और समाजवाद अगर जनता अपने मसले तय करनेमे खुद सक्रिय हिस्सा लेती है तो उसका कितना महत्व होता है । यही एक तरीका है जिसके जरिये सामाजिक अनुशासनकी सृष्टि की जाती है । हालत तो इतनी विगड गयी है कि कभी-कभी गाधी-स्मारक फण्डके लिए चन्दा उठानेका काम अफसरोपर छोड़ दिया जाता है । अभी-अभी फैजाबादसे लौटा हूँ और मैं यह जानकर दंग रह गया कि वहां इस फण्डके लिए चन्दे उठानेमे स्थानीय अफसरोने प्रमुख हिस्सा लिया। आज भी वही दवाव और जबर्दस्तीका तरीका लागू किया जाता है और लोगोको यह जान कर आश्चर्य होगा कि जो लोग बन्दूक वगैरहके लाइसेन्सको नया करने या गोली खरीदनेके लिए परिमिटके लिए दरख्वास्त देते हैं उनसे अनिवार्य रूपसे चन्दा ले लिया जाता है । शान्ति और अहिंसाके प्रतीकके नामके साथ इस घृणित कार्यको जोड़ देना अपवित्रतासे कम नहीं है । बहुत महीने पहले मुझसे कहा गया कि जिला अफसरोंके पास चन्दा न उठानेका आदेश भेज दिया गया है, लेकिन मैं पाता हूँ कि कमसे-कम फैजावादमे तो इस आदेशका पालन नही किया जा रहा है । हर दृष्टिसे जबर्दस्ती चन्दा लेनेका यह घृणित कायदा फौरन् वन्द होना चाहिये । वसूली योजनाके दोष यह निश्चित बात है कि हमलोग गांव-पंचायतोंद्वारा वसूली नीतिको, जिसके लिए कारण ऊपर बताये जा चुके है, अमलमें लानेका तरीका पसन्द करेंगे, लेकिन किसी वजहसे सरकार अगर यह कदम उठानेको तैयार नही है तो सोशलिस्ट पार्टी अनिवार्य वमूलीका विरोध नही करेगी बशर्ते कि वसूली-योजनाकी खराव वातें दूर कर दी जाती है । इस मामलेमे मुझे यह कहनेके लिए डा० लोहियाका अधिकार प्राप्त है कि वह इस विचारका समर्थन करते है । बाराबंकीके गरीब किसानोने-उनके बीच कोई धनी किसान नही थे-जो मेमोरेण्डम प्रधान मन्त्रीके पास पेश किया उसमे यह साफ लिखा हुआ था कि वे गल्ला-वसूली नीतिको अमलमें लानेमे सरकारसे सहयोग करनको पूर्ण तैयार है । वे जो चाहते थे वह यह था कि प्रधान मन्त्रीका ध्यान अपनी उन तकलीफोकी ओर खींचना चाहते थे जो उन्हें होंगी अगर योजना मूल रूपमें ही कार्यान्वित हुई । मन्त्रीजी जरा सोचें किसी जिम्मेदार मन्त्री या प्रधान मन्त्रीके लिए किसानोंको भड़कानेका दोष सोशलिस्ट कार्यकर्तामोपर लगाना अशोभनीय है । साथ ही इस विनापर कि किसानोने अपने जिलेमें कायम किये गये सरकारकी गैर-सरकारी एजेन्सियोंको पूरा नजरअन्दाज किया उनकी मांगोंको सुननेसे इन्कार करना भी अशोभनीय है। जो हुकूमतमें है उसकी गलतियों और धांधलियोंसे हमारा राजनीतिक फायदा उठाना विल्कुल जायज है, लेकिन हमलोग उन लोगोंमेसे नही है जो अपने संकुचित राजनीतिक उद्देश्य सिद्ध करनेके लिए जनताको मुसीबतोंसे फायदा उठाते है । हम जो करते हैं वह शोषितोंके हितके लिए करना पड़ता है जिनका हित-साधन हमारा उद्देश्य है और हम बड़े धनी किसानोंके हितके लिए ऐसा नही करते जैसा कि बताया गया है । सोशलिस्ट पार्टी बड़े और धनी किसानोंका कोटा बढ़ानेके
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