२१६ राष्ट्रीयता और समाजवाद यदि हम सचमुच चाहते है कि अपने राष्ट्रका सगठन असाम्प्रदायिक आधारपर करें तो हमे राजनीतिमें धर्मका हस्तक्षेप रोकना ही होगा। विरोधी दलका भारतीयकरण पहले मैने कहा है कि हमारे देशके विरले लोगोमे ही प्रजातान्त्रिक चरित्र या व्यवहार पाया जाता है । उसको स्थापित करनेके लिए हमे अपनी सारी सद्भावना और शक्ति लगानी पड़ेगी। बच्चोमे प्रजातान्त्रिक स्वभाव शिक्षाके द्वारा ही उत्पन्न किया जा सकता है। लेकिन राजनीतिक स्तरपर शासनारूढ दलको यह स्वीकार करना चाहिये कि प्रजातन्त्रकी स्थापनाके लिए विरोधी दलका होना आवश्यक है । लेकिन जब कभी वैधानिक स्वतन्त्रतापर जोर दिया जाता है और विरोधी दलके संघटनकी आवश्यकता बतलायी जाती है तब सरकारी गद्दियोपर बैठे लोग इसकी जरूरतसे इन्कार कर देते है । और यह सब कुछ किया जाता है भारतीय परम्पराके नामपर । विरोधी दलकी मांगको शान्त करनेके लिए हालमे ही यह नुस्खा अपनाया गया है । यह कहा जाता है कि पश्चिमी पद्धतिका अनुकरण किये बिना ही भारत अपने यहाँ प्रजातन्त्रका विकास कर सकता है और ऐसा करते हुए वह उन अच्छी वातोको छोड सकता है जिनको पश्चिममे प्रजातन्त्रके निर्माणके लिए आवश्यक अंग समझा जाता है । उनकी यह भारतीय परम्परा तव नहीं टूटती जब विधान-परिपर्दो यूरोपीय देणोके विधान जैसे के तैसे स्वीकार कर लिये जाते है। लेकिन उस प्रजातान्त्रिक विधानकी सुरक्षाके लिए जब एक आवश्यक वात सुझायी जाती है जो सदियोके अनुभवका निचोड है, तब भारतीय परम्परा जैसी एक रहस्यात्मक वस्तुके नामपर उसका विरोध किया जाता । भारतीय परम्पराके इन समर्थकोको हमारी नेक सलाह है कि पूर्वजोके इम सन्नियमका वे पालन करे कि एक निश्चित आयुके वाद वे सामाजिक जीवनसे सन्यास ले लिया करे । यदि हमारे मन्त्रिगण और राजनीतिज ६० वर्ष की आयुमे सार्वजनिक क्षेत्रसे अलग हो जाया करे तो शासन और जनता दोनोंका वड़ा भला होगा। मैं सुझाव दूंगा कि भारतके नये प्रस्तावित विधानमे इस प्रकारका एक नियम जोड दिया जाय । आजकी नयी समस्याग्रोको सुलझाने और शासन चलानेके लिए तो हमे ऐसे नवयुवकोकी आवश्यकता है, जिनके पास उत्साह और नया दृष्टिकोण हो । जीवनसे थके हुए और पुरानी परिपाटीपर सोचनेवाले मनुष्य तो गड़वडघोटाला ही करेंगे। यदि कर्मचारियोके लिए एक निश्चित उम्रके वाद नौकरीसे अलग हो जानेकी शर्त है, तो कोई कारण नहीं कि मन्त्रियोको उस नियमसे बरी किया जाय । हम एक ऐसे गतिशील युगमे रह रहे है, जिसमे प्रतिक्षण परिवर्तन हो रहा है । वुजुर्ग लोगोसे यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि बदलती हुई हालतोमे भी वे उतनी ही तत्परता और शीघ्रतासे काम कर सकेगे । तानाशाहीको ओर अगर आप विरोधी दलकी आवश्यकतासे इनकार करते है तो इसका मतलब यह है है कि आप निरकुश शासनका समर्थन कर रहे है । भारतीय सरकारे धीरे-धीरे,
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