पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/१७७

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१६४ राष्ट्रीयता और समाजवाद करते हुए इस वक्तव्यमे कहा गया है कि इसमे मुट्ठीभर प्रतिगामियो और राज्यभक्तोंको छोड़कर समस्त भारतीय जनताका समावेश होता है।" कांग्रेसका श्रेणी आधार तो पूंजीवादी और सुधारक जमीदार वर्ग बताया जाता है, किन्तु साम्राज्यविरोधी जनमोर्चेका श्रेणी आधार समस्त राष्ट्र है ! यह एक अजीब बात है। इसके बाद ही किसान सभाका कांग्रेसके साथ क्या सम्बन्ध हो, इसपर कम्युनिस्टोका नया निश्चय प्रकाशित हुआ । किसान सभा अपनी स्वतन्त्र सत्ता रखती हुई काग्रेसके ही आधारपर एक शक्तिशाली मोर्चा कायम करनेकी कोशिश करेगी। इसीलिए वह कांग्रेससे सामूहिक सम्बन्ध स्थापित करना चाहती है । कम्युनिस्ट इण्टरनेशनलकी सातवी काग्रेसमे हिन्दुस्तानपर रिपोर्ट देते हुए वैग मिंग ( Wang Ming ) ने कहा था कि “हिन्दुस्तानके कम्युनिस्टोने संकीर्णता दिखाकर वड़ी भूल की है। वह काग्रेमसे अलग हो गये और उसके द्वारा संगठित प्रदर्शनोमें भाग नहीं लेते थे। साथ ही, उनका निजका संगठन भी ऐसा न था जिसके अाधारपर स्वतन्त्र रीतिसे वह एक जबर्दस्त जनान्दोलन खड़ा कर सकते । उनका जनतासे सम्पर्क बहुत कम हो गया ।. इस तरह कम्युनिस्ट समुदायने वास्तवमे जनतापर गांधीवाद और सुधारवादका प्रभाव वने रहनेमे मदद की। कम्युनिस्टोको इस संकीर्णताको छोड़ना चाहिये और काग्रेसके भीतर तथा उससे सम्बद्ध सुधारक और क्रान्तिकारी संस्थानोमें काम करना चाहिये। लेनिनकी यही शिक्षा थी। उसका कहना था कि "सुधारक संस्थानोके साथ संयुक्त मोर्चा बनाते हुए शर्ते इस गरजसे न रखनी चाहिये जिसमें उनके नेता उन्हें नामंजूर कर दें, वल्कि साधारण माँगोको भी यदि वह श्रेणियोकी मांगे है या साम्राज्यविरोधी मांगें हैं, मान लेना चाहिये, क्योकि इतिहास इसका साक्षी है कि साधारण अधिकारोके लिए किये गये छोटेसे छोटे अान्दोलनोंने क्रान्तियोको जन्म दिया है ।" पर हमारे भाई इस शिक्षाको बहुत दिनोतक भूले रहे और अपने ही नेताअोके याद दिलानेपर भी अमल करनेमें बहुत समय लगा दिया । सन् १९३५ में अन्तराष्ट्रीय कम्युनिस्ट संघकी ७ वी कांग्रेस हुई थी, पर लगभग २ वर्पके बाद ही इस नीतिपर ठीक ढंगसे अमल होना शुरू हुआ । कांग्रेसका जो श्रेणी अाधार कम्युनिस्टोंने मान रखा है उसके कारण तथा इस कारण कि उनको विचार-स्वातन्त्र्य तथा अपनी नीति स्वयं निर्धारित करनेका हक नही है, यह शोचनीय अवस्था उत्पन्न हो गयी थी और फिर उत्पन्न हो सकती है। मौलिक मतभेद समाजवादी और रायपन्थी कांग्रेसको राष्ट्रीय स्वतन्त्रताके लिए किये जानेवाले संघर्पका उपकरण समझते है। हमारे मतमे काग्रेसका नेतृत्व चाहे जैसा क्यों न हो, आन्दोलनकी दृष्टिसे कांग्रेस एक क्रान्तिकारी शक्ति है। काग्रेस प्रजातन्त्रवादी तथा क्रान्तिकारी आन्दोलन है। यह हमारा विचार है। इसी स्थलपर हमारा कम्युनिस्टोसे मौलिक मतभेद है। दत्त-बैडलेने अपने लेखमे इसी वातको दवी जवानसे स्पष्टरीत्या