१२८ राष्ट्रीयता और समाजवाद एक कमजोरी और है जिसकी ओर ध्यान दिलाना आवश्यक है । जब समझोतेसे काम होता है तब विधान-परिपद्मे प्रधान पक्षोका सम्मिलित होना आवश्यक हो जाता है । मुसलिम लीगके बाहर रहनेसे परिपद् कमजोर है । मध्यकालीन सरकारकी स्थिति चाहे जो हो, जब वह बन गयी तो प्रश्न यह है कि इसके प्रति हमारी नीति क्या हो । काग्रेसने एक कदम उठाया है, एक जिम्मेदारी अपने ऊपर ली है । लीगका केवल असहयोग नहीं है, उसका प्रवल विरोध भी है । समय भी असाधारण है, प्रश्न वडे जटिल है, मजदूरोमे घोर अशान्ति है, आये दिन हड़ताले होती है । ऐसे नाजुक समयमे काग्रेसने बहुत बड़ी जिम्मेदारी अपने ऊपर ली है। यह उसकी परीक्षाका समय है । जनताको काग्रेससे बडी आशा है और उसको स्थितिका पूरा पता नही है । इससे दिक्कत और वढ गयी है । यदि काग्रेस किसी कारण असफल रही तो उसकी प्रतिष्ठाको भारी धक्का लगेगा । देशकी वहुत बडी क्षति होगी, इसलिए किसीका कोई मत क्यो न हो, सबको सफलताकी कामना करनी चाहिय और इसका पूरा प्रयत्न करना चाहिये कि काग्रेमकी शक्ति और उसकी प्रतिष्ठा वढे । मध्यकालीन सरकार क्या करे मध्यकालीन सरकारसे हमे पूरा लाभ भी उठाना चाहिये । यह सरकार स्थायी क्रान्तिकारी गवर्नमेण्टके समकक्ष हो या न हो, इसका कर्तव्य हो जाता है कि लोकतन्त्रकी स्थापनाके लिए यह जितना आगे जा सकती है जाये । लोकतान्त्रिक शासनकी स्थापना समाजवादके मार्गकी पहली मंजिल है, और अस्थायी क्रान्तिकारी गवर्नमेण्टका काम लोकतन्त्रके मार्गको प्रशस्त करना है । यह काम निरकुश शासन तथा सामन्तशाहीका अन्त करने, जनताके लाभके लिए उचित कानून बनाने तथा लोकतन्त्रकी भूमिका कायम करनसे सिद्ध होता है । इस दृष्टिसे मध्यकालीन सरकारको नागरिकताके अधिकारोकी रक्षा तथा उनकी सीमाकी वृद्धि करनी चाहिये । मजदूरोके कामके घण्टे कम करना चाहिये, उनकी मजदूरी बढानी चाहिये, उनके लिए अन्य सुविधागोका आयोजन करना चाहिये, तथा ट्रेड-यूनियन आन्दोलनको पुष्ट करना चाहिये । यातायातके मार्ग, विजलो और कोयलेकी खानोको राष्ट्रको सम्पत्ति करार देना चाहिये । उद्योग व्यवसायोका जनताके लाभके लिए नियन्त्रण होना चाहिये । प्रान्तीय क्षेत्रमे जमीदारी प्रथाका अन्त, सहयोग समितियो और ग्राम-पंचायतोंकी स्थापना, स्थानीय स्वायत्त-शासन-सुधार तथा सम्मिलित निर्वाचन प्रणालीको प्रतिष्ठा होनी चाहिये । केन्द्रीय सरकारको वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अन्वेषणकी व्यवस्था करनी चाहिये । कृपिकी उन्नतिके उपायोको निर्धारत कर योजनाएँ वनानी चाहिये और उन्हे कार्यान्वित करना चाहिये तथा शिक्षाके प्रसारके लिए प्रान्तोको धनसे सहायता करनी चाहिये । देशी राज्योपर प्रभाव डालकर वहाँ उत्तरदायी शासनकी स्थापना करनी चाहिये । काग्रेसको मुसलिम जनतासे अधिक सम्पर्क स्थापित करना चाहिये और उसे अपने प्रभावमे लाना चाहिये । जनताको शासनके सस्पर्शमे लाना चाहिये । जनतामे लोकतन्त्रकी भावना बढ़े, उसका आत्म-विश्वास बढ़े इसका प्रयत्न
पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/१४१
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।