१८ राष्ट्रीयता और समाजवाद स्वाभाविक और आवश्यक था। किन्तु समझौतेके सम्वन्धमे यह बात नही कही जा सकती। कोई भी व्यक्ति समझौता करानेके लिए काग्रेसमे प्रस्ताव नहीं ला रहा है। उलटे वकिंग कमेटी अपनी नीतिकी घोपणा कर यह वात स्पप्ट कर देती है कि पूर्ण स्वाधीनतासे कम कोई वस्तु स्वीकार नहीं की जा सकती। इसलिए और खासकर इस कारणसे कि सम्मेलन बुलानेका उद्देश्य केवल समझौतेकी मनोवृत्तिको दवाना ही नहीं है, किन्तु काग्रेसको तोडना है और उसके वदलेमे दूसरी संस्था खड़ी करनी है हम इस सम्मेलनका विरोध करनेके लिए विवश हो गये है । कम्युनिस्टोंकी चुप्पी श्री मानवेन्द्रनाथराय और श्री जयप्रकाशनारायणने अपने-अपने दलकी स्थिति स्पष्ट कर दी है। कम्युनिस्ट अभीतक चुप है । इसका रहस्य मालूम नहीं होता। उनको एक वक्तव्य देकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर देना चाहिये । ऐसे महत्वके प्रश्नपर चुप रहना किसी राजनीतिक दलको शोभा नहीं देता। यह उसके राजनीतिक दिवालियेपन- की निशानी है या अवसरवादिता है । कहा जाता है कि इस विपयमे भी कम्युनिस्ट तटस्थ रहना चाहते है । दो पक्षमे जब कोई पक्ष मान्य न हो तव तटस्थ रहा जाता है । इस प्रश्नपर तटस्थ रहनेके अर्थ होगे काग्रेसका विरोध करना । तो क्या हम समझें कि कम्युनिस्टोने अपने सयुक्त मोर्चेकी नीतिको छोड़ दिया है और अपनी पुरानी नीति फिरसे अख्तियार कर ली है ? आशा है वह अपनी राय जाहिर कर लोगोको तरह-तरहके अटकल लगानेका मौका न देगे। आजकी स्थिति वडी भयावह है । जहाँ राष्ट्रकी शक्ति वढी है वहाँ नये-नये खतरे भी पैदा हो रहे है । हमको सावधानीसे काम लेना है । पूर्वापरका अच्छी तरह विचार करके ही हमको अपना मार्ग स्थिर करना है । ग्राशा है, काग्रेस कार्यकर्ता इस प्रश्नकी विवेचना करेंगे और किसी ऐसे निर्णय पर पहुँचेंगे जिससे राष्ट्रकी क्षति न हो ।' पाकिस्तान की योजना देशके लिए आत्मघातक है देशके बँटवारेका फैसला केवल धार्मिक अल्पसंख्यकोपर नही छोडा जा सकता। मुसलिम-लीगने अपने लाहौरके इजलासमे हिन्दुस्तानके बँटवारेकी एक योजना मंजूर की है। इसे अामतीरसे 'पाकिस्तान' कहते है । मुसलिमलीगका कहना है कि हिन्दू और मुसलमान दो कौमें है, इनका राष्ट्र नहीं हो सकता, इसलिए हिन्दुस्तानमें धार्मिक समुदायके आधारपर तीन स्वतन्त्र राष्ट्र होने चाहिये । लीग हिन्दुस्तानकी एकता और और अखण्डताको नहीं स्वीकार करती । कांग्रेस इस माँगका विरोध करती है, किन्तु महात्माजीने कहा है कि यदि स्वराज्य पचायतके मुसलिम प्रतिनिधि इस माँगपर इसरार १. 'संघर्प' १८ मार्च १९४० ई०
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