पृष्ठ:राष्ट्रभाषा पर विचार.pdf/९३

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५-हिन्दुस्तानी [श्री काका कालेलकर ] किसी समस्या को हल करने की कोशिश में हम कभी-कभी नई समस्याएँ पैदा करते हैं। राष्ट्रभाषा की समस्या हल करते- करते हिंदी और हिंदुस्तानी का सवाल खड़ा हुआ } राष्ट्रभाषा का कार्य क्या है, यह जब तक हमने तय नहीं किया है, तब तक इसमें से अनेक गुत्थियाँ पैदा होनेवाली हैं। यह देखकर कि देश में चंद लोग हिंदी को राष्ट्रभाषा कहते हैं और चंद हिंदुस्तानी को, एक मित्र ने बीच का रास्ता निकाला है। वे कहते हैं, हिंदी तो हमारी राष्ट्रभाषा है, और हिंदुस्तानी' सारे देश की सामान्य बोलचाल की भाषा। जो लोग मानते हैं और कहते हैं कि हिंदुस्तान में दो राष्ट्र हैं एक हिंदुओं और दूसरा मुसलमानों का, वे तो आसानी से कह सकते हैं कि हिंदी हिंदुओं की राष्ट्रभाषा है,---उर्दू मुसलमानों की और हिंदुस्तानी जैसी कोई चीज ही नहीं है। इनके विचार में हिंदुस्तान के लिए दो राष्ट्रभाषाएँ हो सकती हैं, अगर इन्हें पूछा १-इस प्रसंग में भूलना न होगा कि डाक्टर सुनीति-कुमार चाटुज्या जैसे भाषामनीषी इसे 'हिंदुस्थानी' कहते हैं. कुछ हिंदुस्तानी' नहीं । कारण, उनकी शुद्ध दृष्टि में 'हिंदुस्तानी' भी 'उर्दू का ही पर्याय है कुछ 'हिंदी' का नहीं । आज भी महाराष्ट्र और बंगाल प्रभृति प्रांत हिंदी को ही हिंदुस्थानी कहते हैं कुछ 'उर्दू' को नहीं 1 उर्दू तो उनकी दृष्टि में मुसलमानी है।