पृष्ठ:राष्ट्रभाषा पर विचार.pdf/८

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ओर से टिप्पणी भी दे दी गई है । आशा है उनसे अनेक भ्रमों का निवारण तथा उच्छेद होगा। अंत में हम उन सभी पत्र-पत्रिकाओं के आभारी और कृतज्ञ हैं जिनकी कृपा से जब-तब जहाँ-तहाँ इन लेखों का प्रकाशन हुआ और फलतः आज भी कुछ हेर-फेर और कटछंट के साथ इस सरलता से यहाँ प्रकाशित हो रहे हैं। आशा है भविष्य में भी 'सरस्वती मंदिर' इस प्रकार की रचनाओं के प्रकाशन में विशेष दत्तचित्त रहेगा और राष्ट्रभाषा के क्षेत्र में किसी से पीछे न रहेगा। गुरु-पूर्णिमा सं० २००२ विक } चंद्रबली पांडे काशी