पृष्ठ:राष्ट्रभाषा पर विचार.pdf/४३

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3 राष्ट्रभापा कि राष्ट्रलिपि के विचार से उर्दू की लिपि को कोई स्थान नहीं मिल सकता। हाँ, जो लोग बार बार और भाँति भाँति से सुझाते हैं कि उर्दू जल्द लिखी जाती है और सारे मुसलिम लोक की लिपि है उनसे निवेदन यह है कि कैथी उर्दू शिकस्ता से भी शीघ्र लिखी तथा पढ़ी जाती है। अवसर हो तो परीक्षा करें अन्यथा स्व० सर जार्ज ग्रियर्सन के निर्णय पर ध्यान दें और देखें कि उस बूढ़े का अनुभव क्या है। वह स्वयं कहता है कि मधुवनी (बिहार) में एक ऐसा लेखक था जो कैथी को किसी भी फारसी के सिद्ध लेखक की फारसी से शीघ्र, सुबोध और स्वच्छ लिख, लेता था।' अरबी लिपि में लिखी हुई प्राचीन पुस्तकों को पढ़ने का जिसे तनिक भी अवकाश मिला होगा वह कभी भी उसका नाम न लेगा और न नाम लेगा कभी वह मुसलमान भी जिसे अपने अभ्युदय एवं अपने देश के कल्याण का ध्यान होगा। तुर्कों ने जो किया है सब पर प्रकट है फिर समझ में नहीं आता कि किस मुँह और किस न्याय से अरबी लिपि को 'हिंदुस्तानी रस्मखत' बताया जा रहा है और उसी को भारत की राष्ट्रलिपि बनाने का सरफोड़ प्रयत्न हो रहा है । हो, पर उसकी तभी तक सुनी जायगी जब तक राष्ट्र अंधा अथवा चिर सुहागिन हिंदुस्तानी का दास है। जहाँ उसकी आत्म-चेतना जगी, उसने दूर से इसे नमस्कार किया और - There was a clerk in my office in Madhubani, who could write excellent Kaithi more quickly than even the most practised of the old persian" muharrirs. Besides the speed with which it can be written, it has the advantage of thorough legibility." ( An Introduction to the Maithili Dialect calcutta. A. S. Bengal, part I. p. I.)