पृष्ठ:राष्ट्रभाषा पर विचार.pdf/३४६

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राष्ट्रभाषा पर विचार के अभाव में राष्ट्र का उद्धार कहाँ ? लोक का मंगल कहाँ ? हाँ स्वराज्य का प्रपंच अवश्य है। फलतः इस अवसर का पूरा उप- योग कर आगे का प्रशस्त मार्ग बनाना चाहिए जिससे सभी को लोकयात्रा सुखद् जान पड़े।