पृष्ठ:राष्ट्रभाषा पर विचार.pdf/३३१

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दक्षिण भारत का प्रश्न एक प्रश्न-पत्र ऐसा हो जिसमें समस्त देशभाषाओं के साहित्य का इतिहास रहे किसी दक्षिणी भाषा का थोड़ा सा परिचय भी रहे तो कहीं अच्छा हो। ७-हिंदी विश्वविद्यालय की स्थापना में इस बात का ध्यान रहे कि उसमें राष्ट्रभाषा के साथ ही देशभाषाओं के अध्ययन का विधान हो और इस प्रकार वह सचमुच भारतीय भाषा- विद्यालय का भी काम कर सके। ८-अपने किसी प्रस्ताव में राष्ट्रभाषा तथा देशभाषाओं के संबंध को स्पष्ट कर दे जिससे साम्राज्यवाद का दोषारोपण भी उस पर न हो सके। साहित्यकारों से अनुरोध हाँ, हिंदी साहित्य सम्मेलन के साथ ही साथ कुछ हिंदी के साहित्यिकों, साहित्यकारों और अध्यापकों से भी। आप लोगों को कितने दिनों से यह सुनाई दे रहा था कि आपकी भाषा ही भारत की राष्ट्रभाषा बनने जा रही है, पर क्या कभी आपने इस बात की चिंता की कि राष्ट्रभाषा के साथ ही राष्ट्रसाहित्य का निर्माण होना भी अनिवार्य है ? सचमुच यदि आप में जीवन होता और उस जीवन में भविष्य को आँकने की दो आँख तो आज हमारा वर्तमान भी कुछ और ही होता। परंतु आप तो सदा इसकी ओर से उदासीन रहे । सच तो कहें, क्या कभी आपने कालिदास की दृष्टि से भारत को देखा ? यदि देखते तो इस हरी भरी भूमि को छोड़कर आपकी आँख आकाश में क्यों अटकती ? अरे! धरती में क्या नहीं वरा है कि आकाश के तारे तोड़ रहे हो अथवा बने बनाये घर में तोड़-फोड़ मचाना ही अपना पावन धर्म २६