पृष्ठ:राष्ट्रभाषा पर विचार.pdf/३०१

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मौलाना आजाद की हिंदुस्तानी २६१ कि स्वयं उनकी जवान के बारे में उर्दू के लोगों का कहना क्या है। अच्छा होगा, सबसे पहले उसमानिया विश्वविद्यालय के एम० ए० सैयद मुहीउद्दीन कादिरी का मत आपके सामने रखा जाय । आपका कहना है-- इती ज़माना में जब कि उर्दू का श्रमद' तरक्की की तरफ़ गामजन था मौलाना अबुलकलाम 'अाजाद' ने 'अलहिलाल' जारी करके एक बदीदः तर्ज इंशा को रायज किया | यह तज़ अगर उन ही की हद तक महफूज़प रहती तो कोई मज़र्रतरसा वात न थी। लेकिन अफसोस है कि औवल औवल नये तालीमयाफ्ता नवजवानों पर इसका बहुत गहरा और बहुत बुरा असर पड़ा। मालूम होता है कि अबुलकलाम की सखसूस जेहनियत ने सर सैयद की इसलाही कोशिशों के लिये रद्द अमल का काम किया। उनका और उनके सुकल्लीन का गालबन् यह अर्कीदा २ है कि उर्दू जबान में मज़हन इसलाम की जुमला इस्तलाहात और उसके मुताल्लिका ४ अरबी व फारसी लम्जों को बिल्कुल वेतकल्लुफ्री से इस्तेमाल करते रहना चाहिए, ताकि मुसलमान उनसे हर वक्त दो चार होते रहें, और इस तरह उनके मज़हबी मोतकात ५ मौका बमौका ताज़ा हुश्रा करें। हमारे एक नुइतरम उत्ताद जो दविस्तान अबुल कलाम के जबरदस्त खोशाचों१८ नज़र आते हैं, इस श्रमर ९ ६-ढंग । २-प्रयत्नशील ३–नया ४-शैली । ५-सुरक्षित । ६-हानिनद । ७-विशिष्ट । ८-प्रवृचि । E-सुधार की। १०-- मिटाने का । ११-अनुयायियों । १२-विश्वास । १३ सांकेतिक शब्द । १४-तत्संबंधी । १५-प्राज्ञायें। १६-आदरणीय । १७-संप्रदाय ! १८-अन्वेषक । १६-कार्य ।