पृष्ठ:राष्ट्रभाषा पर विचार.pdf/२२५

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व्यवहार में हिंदी stanee for a Persian verb at the end of a sentence, under the mistaken idea that such a practice will be considered as fulfilling every object in view in making the change." (ET) सदर दीवानी अदालत ने यह जान लिया कि लोग किस प्रकार लिया दिया आदि को जोड़कर फारसी को उर्दू बना लेते हैं पर वह वह न जान सकी कि चह उर्दू कभी फारसी को छोड़ कर लोक-वाणी की पटरी पर चल नहीं सकती ! तभी तो उसने जान-बूझकर हिंदी की जगह हिंदुस्तानी यानी उर्दू को चालू किया? इसका कारण चाहे जो हो, पर इतना तो प्रत्यक्ष ही है कि उसका उर्दू से पूरा पड़ता नहीं दिखाई देता है और इसी से वह सरल और सुलझी रीति की चेतावनी देती है। पर क्या कभी यह संभव है ? नहीं, उर्दू तो फारसी-प्रिय लोगों की प्रसन्नता के लिये मैदान में आई है और इसी से हिंदुस्तानी की आड़ में वह हिंदी का शिकार करने में लगी है। हाँ, तो माल के सदर बोर्ड ने भी दीवानी का साथ दिया। उसने भी कह दिया कि बोर्ड का प्रस्ताव है कि फारसी-लिपि बनी रहे। सो इस प्रकार अब हम देखते हैं कि युक्तप्रान्त की सदर दीवानी अदालत और माल सदर बोर्ड ने मिलकर नागरी को नष्ट करने का उपाय रचा और फारसी की जगह उर्दू का प्रचार कर हिंदी-उर्दू का नया प्रपंच खड़ा किया। अच्छा, तो सदर वोर्ड की उक्त विज्ञप्ति है कि जहाँ कहीं नागरी जमी है वहाँ वह चले पर उसको छोड़कर अन्यत्र फारसी लिपि ही बनी रहे । भाषा गई पर लिपि नहीं। यही तो न्याय है !