पृष्ठ:राष्ट्रभाषा पर विचार.pdf/१४८

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राष्ट्रभाषा पर विचार का सबसे कम कासला सीधी लकीर जाहिर करती है या टेड़ी लकीर ?' इसी की हिंदी है-"२ जगहों का सबसे कम फासला सीधी लकीर बताती है या टेढ़ी लकीर ?" ध्यान देने की बात है कि 'बताती है तो उर्दू नहीं है पर 'जगह', 'फासला' और 'लकीर' हिंदी अवश्य हैं। हम 'खाँ' महोदय से पूछना चाहते है कि "२ स्थानों की सबसे कम दूरी सीधी रेखा बताती है या टेड़ी रेखा ?" हिंदी क्यों नहीं है और क्यों 'जगह' 'फासला' और 'लकीर' ही हिंदी है ? हमारी हिंदी की दशा तो यह है कि यहाँ बिल भी 'चुकता' नहीं अदा कर दिया जाता है, देखिए- "दस-दस रुपये के कितने नोट चाहिये ताकि सब रकम अदा हो जाय और कुछ बाकी भी रहे । तीस रुपये बारह पाने में से क्या बच रहेगा अगर सब बिल अदा कर दिए जायें और सवा रुपया फुटकर खर्च हो ? यह तो हुई हमारी हिंदी। अब इसकी उर्दू देखिए--"दस दस रुपया के कितने नोट चाहिए ताकि सब रकम अदा हो जाये और कुछ वाक्की भी रहे । तीस रुपया बारह आने में से क्या बच रहेगा अगर सब बिल अदा कर दिए जायें और सवा रुपया मुतारिक खर्च हो। तनिक सोचिए तो सही कि क्यों हिंदी में तो 'ताकि रक्कम', अदा' 'बाकी', 'अगर' और 'खर्च' आदि सभी विलायती शब्द खप सकते हैं पर उर्दू में 'फुटकर' भी नहीं जी सकता और 'रुपये को फारसी रूप धारण कर 'रुपयः' वनना पड़ता है ! क्या हिंदी में जिससे', 'धन', 'चुकता', 'यदि', 'व्यय' आदि प्रतिदिन के व्यवहार के प्रचलित शब्दों का व्यवहार ठीक नहीं होता कि उन्हें