पृष्ठ:राष्ट्रभाषा पर विचार.pdf/१४०

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१३० राष्ट्रभाषा पर विचार और जैन-धर्म भी इसी के फिरके हैं। मगर आज बौद्धधर्म का बोलबाला हिंदुस्तान से बाहर तिब्बत, चीन, जापान, स्याम लंका वगैरह मुल्कों में भी है। हिंदू धर्म में मुख्य नसीहतें ये हैं । (१) किसी को तकलीफ न पहुँचानो । (२) दूसरे की चीज वगैर उससे पूछे न लो। (३) हमेशा सच बोलो (४) मौके पर अपनी ताकत के मुताबिक खैरात करो। (५) पराई औरतों पर बुरी नजर मत रक्खो। (६) ज्यादा लालच न करो। (७) बड़े बूदों की कद्र करो। (८) सब जीवों पर दया करो। इस धर्म का चलाने वाला कौन था इसका पता नहीं। (दुनिया के बड़े-बड़े मजहब, पृ० १-२)। गौतम बुद्ध के पुण्यदेश के निवासियों के लिये हम इतना और निवेदन कर देना चाहते हैं कि मुसलिम साहित्य में गौतम बुद्ध 'बोज़ आसफ' नाम के पैगंबर के रूप में ख्यात हैं और अब्बासियों के प्रसिद्ध मंत्री बरामका पहले वौद्ध ही थे । दारा- शिकोह का तो यहाँ तक कहना था कि कुरानशरीफ में उपनिषदों का संकेत है। फिर भी हमारी यह दशा ? पारसी मत के विषय में हिंदू धर्म से दो एक शब्द अधिक लिख दिये गये हैं किंतु पारसी मत का कोई परिचय नहीं दिया गया है। केवल इतना कह दिया गया है कि 'दुनिया में इस मजहब को फैलानेवाले एक बहुत बड़े पैगंबर ( दूद) 'जरतसव' थे। वस इसके बाद पारसियों का परिचय दिया गया है। 'जरतसव'! आर्यमतों को इस प्रकार चलता कर शामी मतों का गुणगान किया गया है और ६ पृष्ठ के लगभग उनके लिये सुरक्षित कर लिया गया है। इसलाम के विषय में जो लिखा गया है उसका