पृष्ठ:राष्ट्रभाषा पर विचार.pdf/१३९

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बिहार और हिंदुस्तानी १२६ इधर युक्तप्रांत के 'अलमोड़ा' के मियाँ अब्कू खां की बकरी की दीनपरस्ती पर भी गौर कीजिये । डा० जाकिर हुसैन साहब जैसे गांधीप्रिय मुसलमान का कहना है-- सितारे एक एक करके गायब हो गए। चाँदनी ने आखिरी वक्त में अपना जोर दुसुना कर दिया । भेड़िया भी तंगधा गया था कि दूर से एक रोशनी सी दिखाई दी! एक नुर्ग ने कहीं से बाँग दी। नीचे बस्ती में मस्जिद से अजान की आवाज आयी। चाँदनी ने दिल में कहा कि अल्लाह तेरा शुक्र है ! मैंने अपने वश भर मुकाबिला किया, अब तेरी मरज़ी | मुन्यजन आखिरी दफा अल्लाह अकबर कह रहा था कि चाँदनी बेगम जमीन पर गिर पड़ीं। उसफा सफेद बालों का लिवास खून से बिलकुल सुर्ख था। (अब्बू खाँ की बकरी, पृ०१२)। सत्यनारायण की कथा के व्यभिचार ( बिहार ) और अब्बू खाँ की बकरी के इसलाम (युक्तप्रांत) की आलोचना 'विहार के कुछ साहित्य सेवी' स्वयं आसानी से कर सकते हैं और अब 'होनहार' के मुखपृष्ठ पर अंकित चित्र को भी भलीभाँति हृद- यंगम कर सकते हैं। उसके संबंध में हमने 'बिहार में हिंदुस्तानी' में संकेत किया है। हाँ, यहाँ उन्हें इतना और जान लेना चाहिए कि उक्त पुण्यभूमि के सचानों को अब हिंदू धर्म का यह और इतना ही परिचय दिया जायगा कि- धर्म बहुत पुराना है। पार्यों की आबादी के साथ ही इस धर्म की पैदाइश हुई। इसकी जड़ वेद है। ब्राह्मणों ने इस धर्म का प्रचार करने में बड़ी कोशिश की इसलिए इसका दूसरा नाम ब्राह्मण धर्म भी है। इसमें कई संप्रदाय या फिरके हो गये हैं। बौद्धधर्म 8