पृष्ठ:राष्ट्रभाषा पर विचार.pdf/११४

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१०४ राष्ट्रभाषा पर विचार करोड़ मुसलमान तो नागरी ही जानते हैं, फिर उर्दू के लिये इतना आग्रह क्यों ? याद रहे हिंदुस्तानी का नकली नाम भी उसके लिये अधिक दिन तक नहीं चल सकता | राष्ट्रभाषा के रूप में तो हिंदी का ही सदा स्वागत होता रहा है और फलतः होना भी चाहिए। यही विद्या है, यही विवेक है। वैसे आपकी