पृष्ठ:राष्ट्रभाषा पर विचार.pdf/१०१

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६-हिंदुस्तानी का आग्रह क्यों 'जितने मुँह उतनी बात' की कहावत हिंदुस्तानी पर अक्षरशः सत्य उतरती है। जिसे देखिये वही हिंदुस्तानी पर कुछ कहने के लिये मुँह खोले खड़ा है पर जानता इतना भी नहीं कि वस्तुतः हिंदुस्तानी आंदोलन का रहस्य क्या है और किस प्रकार वह हिंदी को चरने के लिये खड़ा हुआ है ! सबसे पहले उस फोर्ट विलियम कालेज (स्थापित १८०० ई०) को ही ले लीजिये जिसके विषय में बार बार अनेक मुँह से अनेक रूप में कहा गया है कि वही नागरी वा उच्च हिंदी को जन्म दिया गया और वहीं से डाक्टर गिलक्रिस्ट के प्रभुत्व एवं श्री लल्लूजी लाल के प्रयत्न से हिंदी का प्रसार हुआ। परंतु वहाँ होता क्या है, इसे स्वयं उन्हीं डाक्टर गिलक्रिस्ट के मुँह से सुन लीजिए और सदा के लिए टाँक लीजिए कि वस्तु-स्थिति सचमुच क्या है। अच्छा तो स्वयं डाक्टर गिलक्रिस्ट कहते हैं- "In the Hindoostanee, as in other tongues, we might enumerate a great diversity of sty- fes, but for brevity's sake I shall only notice three here, leaving their sub-divisions to be discussed along with the history of the lang- uage, which has been reserved for the second volume. Ist, The High court or persian style, 2nd, the middle or genuine Hindoostanee style, 3rd, the vulgar or Hinduwee.