पृष्ठ:रामचरित मानस रामनरेश त्रिपाठी.pdf/६९

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राम- राम राम- रामारामाराम राम राम राम राम राम **राम) । ६६ । च मन ।। के सुन्दर कानरूपी मार्ग से चला और मानस (हृदय) रूपी श्रेष्ठ स्थान में भरकर होम थिराया। वही पुराना होकर सुन्दर, रुचि बढ़ाने वाला, शीतल और सुख देने ॐ वाला हुआ। रामे सुठि सुंदर संबाद बर बिरचे बुद्धि बिचारि ।। 8 तेइ एहि पावन सुभग सर घाट मनोहर चा॥ि३६॥ इस कथा में बुद्धि से विचारकर जो चार अत्यन्त सुन्दर और उत्तम संवाद ( अर्थात् शिव-पार्वती, कागभुशुण्ड और गरुड़, याज्ञवल्क्य-भरद्वाज, तुलसीदास । और श्रोतागण ) रचे गये हैं, वही इस सुन्दर और पवित्र सरोवर के चार मनोहर ॐ घाट हैं। । सप्त प्रबंध सुसग सोपाना' ॐ ग्यान नयन निरखत मन माना है। रोमको रघुपति महिमा अगुन अवाधा ॐ बरबद सोइ बर बारि अगाधा रामा सात प्रबन्ध ( काण्ड ) ही सात सीढ़ियाँ हैं, जिनको ज्ञानरूपी नेत्रों से हैं राम) देखते ही मन प्रसन्न हो जाता है। रामचन्द्रजी की निगुण और एकरस महिमा, राम) है जिसका वर्णन किया जायेगा, वही इस सुन्दरं जल की अथाह गहराई है। राम राम सीअ जस सलिल सुधा सम ॐ उपभा वीचि विलास मनोरम * पुरइनि सघन चारु चौपाई ॐ जुगुति मंजु मनि सीप सुहाई | रामचन्द्रजी और सीताजी का यश ही अमृत के समान जल है। इसमें जो उपमा दी गई है, वहीं तरंगों का मनोहर विलास है । सुन्दर चौपाइयाँ ही इसमें घनी फैली हुई पुरइन ( कमलपत्र ) हैं और कविता की युक्तियाँ सुन्दर ॐ मणि (मोती ) उत्पन्न करने वाली सुहावनी सीपियाँ हैं। के छंद सोरठा सुन्दर दोहा ॐ सोइ बहुरंग कमल कुल सोहा है। राम) अरथ अनूप सुभाव सुभासा ॐ सोइ पराग मकरंद सुवासा । छन्द, सोरठा और सुन्दर दोहे ही रंग-बिरंगे कमलों के समूह शोभित हैं। अनुपम अर्थ, सुन्दर भाव और अच्छी भाषा ही (क्रमशः) फूलों की धूलि, पुष्प-रस और सुगन्ध है। । सुकृत पुंज मंजुल अलि माला ॐ ग्यान विराग बिचार मराला धुनि अवरेव कबित गुन जाती ॐ मीन मनोहर तै बहु भाँती १. सीढ़ी । २. हर । ३. कमल के पत्ते ।