पृष्ठ:रामचरित मानस रामनरेश त्रिपाठी.pdf/३२९

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है ३२६ : ऊ ना : ४ ॐ है . लोमड़ी ( फिर-फिरकर ) बार-बार दिखाई दे जाती है। गायें सामने खड़ी से बछड़ को दूध पिलाती हैं। हरिनों की टोली बाईं ओर से घूमकर दाहिनी ओर ॐ को आई, मानो सभी मंगलों का समूह दिखाई दिया। एम) छेमकरी' कह छेम विसेषी ॐ स्यामा बाम सुतरु पर देखी। ॐ सनसुख आयउ दधि अरु मीना ॐ कर पुस्तक दुइ विग्र प्रवीना हैं क्षेमकरी ( सफ़ेद सिर वाली चील, सगुन चिड़िया ) विशेष रूप से क्षेम लामो ( कल्याण ) की बात कह रही है। श्यामा बाईं ओर सुन्दर पेड़ पर दिखाई पड़ी। राम दही, मछली और दो विद्वान् ब्राह्मण हाथ में पुस्तक लिये हुये सामने आये। - मंगलमय कल्यानमय अभिमत फल दातार। हैं ! जल सब साँचे होन हित भए सगुन एक बार॥३०३॥ हैं। सभी मङ्गलमय, कल्याणमय और मनोवाञ्छित फल देने वाले शकुन है मानो सच्चे होने के लिये एक ही साथ हो गये। राम मंगल सगुन सुगम सब ताकें ॐ सगुन ब्रह्म सुंदर सुत जाके ॐ राम सरिस बरु दुलहिनि सीता को समधी दसरथु जनकु पुनीता स्वयं सगुण ब्रह्म जिसके सुन्दर पुत्र हैं, उसके लिये सब मंगल-सूचक । सगुन सुलभ हैं। जहाँ रामचन्द्रजी सरीखे दूल्हा और सीता सरीखी दुलहिन हैं, दशरथ और जनक सरीखे पवित्र समधी हैं। सुनि अस व्याह सगुन सब नाँचे ॐ अव कीन्हे बिरंचि हम साँचे एहि विधि कीन्ह बरात पयाना ॐ हय गय गाजहिं हने निसाना । | ऐसा ब्याह सुनकर मानो सभी शकुन नाच उठे और कहने लगे--अब राम) ॐ ब्रह्मा जी ने हमको सच्चा कर दिया । इस तरह बरात ने प्रस्थान किया। नगाड़ी है राम) पर चोट पड़ते ही घोड़े-हाथी ज़ोर से बोलने लगते हैं। है आवत जानि भानु कुल केतू ॐ सरितन्हि जनक : बँधाए सेतू रामू बीच बीच वर वास बनाए ॐ सुर पुर सरिस संपदा छाएँ । सूर्य-वंश के पताका-स्वरूप दशरथजी को आता हुआ जानकर जनकजी ने । नंदियों पर पुल बनवा दिये । बीच-बीच में ( पड़ाव के लिये ) सुन्दर घर बनवा दिये, जिनमें देवलोक के समान सम्पदा छाई है। १. सफेद सिर वाली चील । । राम -राम -राम- राम -राम -राम -राम -राम -राम)- राम-राम)--राम)