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कुछ वर्ष पूर्व रामचरितमानस के शुद्ध पाठ की खोज करके मैंने उसे टीका सहित प्रकाशित कराया था ।

‘मानस' के प्रेमियों में इसकी बड़ी प्रसिद्धि हुई और महात्मा गाँधीजी ने भी इसको पढ़ा और आशीर्वाद दिया । ‘मानस' का पहला संस्करण बहुत थोड़े समय में ही समाप्त होगया; पर उसका दूसरा संस्करण कारणवश न हो सका । हाँ, इसकी माँग बराबर बनी रही और गोस्वामी तुलसीदासजी के भक्तगण इसके नये संस्करण के लिये बराबर प्रेरणा पहुँचाते रहे । अंत में दिल्ली के राजपाल एण्ड सन्ज़, पुस्तक प्रकाशक ने इसके प्रकाशन की इच्छा प्रकट की, मैंने उनको इसका कापी-राइट दे दिया।

रामचरितमानस की विस्तृत भूमिका अलग पुस्तकाकार प्रकाशित हुई है । वह इस प्रन्थ में इसलिए सम्मिलित नहीं की क्योंकि केवल भूमिका के लिये बहुतों को पूरा रामचरितमानस खरीदना पड़ता, जो उन्हें महँगा हो जाता । आशा है, रामचरित-मानस के इस नए संशोधित संस्करण से मानस के प्रेमी पाठकगण लाभ उठायेंगे।

-रामनरेश त्रिपाठी

वसंत निवास,

                       

सुलतानपुर,
१५-११-१९५१









१. तुलसी और उनका काव्य, लेखक-रामनरेश त्रिपाठी, मूल्य ७)