पृष्ठ:रामचरित मानस रामनरेश त्रिपाठी.pdf/२४६

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कई = २४३ । ॐ ने उन्हें चित्रित किया है। नगर के पुरुष-स्त्री सुन्दर, पवित्र, साधु-स्वभाव वाले, होम धर्मात्मा, ज्ञानी और गुणी हैं । । अति अनूप जहँ जनक निवासू ॐ विथकहिं 'विबुध विलोकि विलालू राम होत चकित चित कोट विलोकी छ सकल भुवन सोभा जनु रोकी जुन जहाँ जनक का अत्यन्त अनुपम निवासस्थान है, वहाँ के भोग-विलास एम) को देखकर देवता भी थकित हो जाते हैं, कोट को देखकर चित्त चकित हो एक जाता है। ऐसा जान पड़ता है, मानो उसने सब भुवनों की शोभा को रोक राम) रक्खा है। धवल धाम मनि पुरट पट सुघटित नाला साँति । - सियनिवास सुन्दर सदल सोभा छिसि कहि जाति । उज्ज्वल महलों में मणि-जटित सोने की जरी के पर्दे लगे हैं, जो अनेक ॐ प्रकार से सुन्दर रीति से बने हैं। सीता के रहने के सुन्दर महल की शोभा का रामा वर्णन किया ही कैसे जा सकता है। सुभग द्वार सव कुलिस कपाटा ॐ भूप भीर नट मागध भाटा बनी बिसाल वाजि गजे साला ॐ हय गज रथ संकुल सर्व काला राजभवन के सब द्वार सुन्दर हैं, जिनमें वज्र के-से मज़बूत किवाड़े लगे * हैं । वहाँ (मातहत) राजाओं, नटों, मगध और भाटों की भीड़ लगी रहती * है। घोड़ों और हाथियों के लिये बड़ी-बड़ी घुड़सालें और फीलखाने बने हुए हैं, * जो घोड़े, हाथी और रथों से सब समय भरे रहते हैं। , सूर सचिव सेनय वहुतेरे छॐ नृप गृह सरिस सदन सव केरे ॐ पुर वाहिर सर सरित समीपा ॐ उतरे जहँ तहँ विपुल महीपा एम बहुत से योद्धा, मन्त्री और सेनापति हैं। उन सब के घर भी राजमहल ही न । सरीखे हैं। पुर के बाहर तालाब और नदियों के निकट जहाँ-तहाँ बहुत-से राजा । राम) लोग उतरे हुये ( डेरा डाले ) हैं। ॐ देखि अनूप एक अँवराई 6 सव सुपास सब भाँति सुहाई। एम् कोसिक कहेउ मोर मनु माना ॐ इहाँ रहिछ रघुवीर् सुजाना * आमों का एक अनुपम बारा, जहाँ सब प्रकार के सुभीते थे और जो सर । १. थक जाते हैं, स्तम्भित होते हैं। २. सोना । ३. सुभीता ।