पृष्ठ:रामचरित मानस रामनरेश त्रिपाठी.pdf/२११

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ॐ २०८ ... अभिनय... ॐ जागने पर तीनों लोकों में तहलका मच जाता था। राम जौं दिन प्रति अहार कर सोई छ बिस्वं बेगि सब चौपट होई। समर धीर नहिं जाइ बखाना $ तेहि सम अमित बीर बलवाना " यदि वह प्रतिदिन आहार करता, तो सारा विश्व शीघ्र ही चौपट हो जाता। * वह युद्ध में ऐसा धीर था, जिसका बखान नहीं किया जा सकता। उसी के समान हैं है वहाँ असंख्य वीर और बलवान थे। म बारिदनाद जेठ सुत तासू के भट महुँ प्रथम लीक जग जासू ॐ जेहि न होई रन सनमुख कोई ॐ सुरपुर नितहिं . परावन' होई राम ... रावण का जो पुत्र मेघनाद था, उसकी गिनती संसार के योद्धाओं में पहले होती थी। रण में उसके सामने कोई खड़ा नहीं हो सकता था। देवलोक में राम (उसके भय से ) रोज़ ही भगदड़ मची रहती थी । हो, ऊ कुमुख अकंपन कुलिसरद धूमकेतु अतिकाय। ॐ एक एक जुग जीति सक ऐसे सुभट निकाय।१८०

  • दुर्मुख, अकम्पन, बज्रदन्त, धूमकेतु और अतिकाय आदि ये ऐसे योद्धा थे। कि अकेले ही सारे जगत् को जीत सकते थे। ऐसे वीर वहाँ भरे हुये थे।

कामरूप जानहिं सब माया ॐ सपनेहुँ जिन्ह के धरम न दाया। राम दसमुख बैठ सभाँ एक बारा ॐ देखि अमित अपने परिवारा। सब राक्षस मनमाना रूप बना सकते थे। वे सब ( आसुरी ) माया जानते थे। उनके दया-धर्म स्वप्न में भी नहीं था। एक बार रावण सभा में बैठा था। अपनी असंख्य परिवार देखकर कि सुत समूह जन परिजन नाती की गनै को पार निसाचर जाती राम सेन विलोकि सहज अभिमानी $ बोला बचन क्रोध मद सानी .. पुत्रों का समूह, कुटुम्बी, सम्बन्धी और नाती इतने हैं कि सब राक्षसों की । गिनती कौन कर सकता है ? स्वभाव ही से वह अभिमानी रावण अपनी सेना से देखकर क्रोध और अहंकार में सनी हुई वाणी बोला- ... : * १. रेखा, नंवर। २. भागना ।