पृष्ठ:रामचरित मानस रामनरेश त्रिपाठी.pdf/१८५

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ॐ १८२ . अति भन । हैं । यह इतिहास पुनीत अति उमहि कही बृषकेतु। ॐ एम् = भरद्वाज सुनु अपर पुनि राम जनम कर हेतु॥१५॥ रामू . ( याज्ञवल्क्यजी कहते हैं) हे भरद्वाज ! सुनो। इस अत्यन्त पवित्र इतिहास के को शिवजी ने पार्वती से कहा था। अब राम के अवतार लेने का दूसरा कारण है सुनो। ॐ सुनु मुनि कथा पुनीत पुरानी है जो गिरिजा प्रति संभु वखानी कैं एम बिस्व विदित एक कैकय देसू ॐ सत्यकेतु तहँ बसइ नरेलू हे मुनि ! वह प्राचीन और पवित्र कथा सुनो, जो शिवजी ने पार्वती से है । कही थी। संसार में प्रसिद्ध एक कैकय देश है। वहाँ सत्यकेतु नाम का राजा * रहता था। धरम धुरंधर नीति निधाना ॐ तेज प्रताप सील' वलवाना हुँ राम तेहि के भए जुगल सुत वीरा ॐ सब गुन धाम महा रनधीरा राम्रो | वह धर्म की धुरी को धारण करने वाला, नीति की खान, तेजस्वी, प्रतापी । । और बलवान् था। उसके दो वीर पुत्र हुये, जो सब गुणों के भंडार और बड़े ही । * रणधीर थे।. . राज धनी जो जेठ सुत अाही के नाम प्रतापभानु अस ताही छै राम अपर सुतहि अरिमर्दन नामा ॐ भुजवल अतुल अचल संग्रामा राम ए राज्य का उत्तराधिकारी जो जेठा पुत्र था, उसका नाम प्रतापभानु था। दूसरे एम) पुत्र का नाम अरिमर्दन था, जिसकी भुजाओं में अपरम्पार बल था और जो रण एम् ॐ में अटल था। के भाइहि भाइहि परम समीती' ॐ सकल दोष छल वरजित प्रीती राम जेठे सुतहि राज नृप दीन्हा के हरिहित आपु गवन बन कीन्ही • भाई-भाई में बड़ी एकता और सब प्रकार के दोषों और छलों से रहित हैं (सच्ची) प्रीति थी। राजा ने जेठे पुत्र को राज्य देकर भगवान् की भक्ति के लिये राम ॐ वन में गमन किया। १. वाला । २. मेल ।