पृष्ठ:रामचरितमानस.pdf/९५

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रामचरित-मानस । ४४ है । वह पृथ्वीता पर अमृत की नदी है, भय को चूर चूर करनेवाली है और भ्रान्ति रूपी मेढकों को भक्षण करने के लिए नागिन है॥४॥ एक रामकथा को कामधेनु, सजीवनमूरि और सुधा-तरहिणी वर्णन करना 'द्वितीय उल्लेख अलंकार' है। असुर सेन सम नरक निकन्दिनि । साधु बिधुध कुल हित गिरिनन्दिनि । सन्त समाज पयोधि रमा सी। विस्व भार भर अचल छमा सी ॥५॥ दैत्यों की सेना के समान नरकों का नाश कर साधु रूपी देव-कुटुम्ब की मलाई करने में पार्वती (दुर्गा ) के समान है। सन्तों को मण्डली रूपी क्षीरसागर के लिए लक्ष्मी के समान है और संसार का बोझा उठाने में नितान्त पृथ्वी के समान अचल है ॥ ५ ॥ 'गिरिनन्दिनि शन्द श्लेषार्थी है । इससे पार्वती और गंगाजी दोनों अर्थ निकलते हैं। जमगन मुंह मसिं जग जमुना सी । जीवन मुकुति हेतु जनु कासी ॥ रामहि प्रिय पावनि तुलसी सी । तुलसिदास हित हिय हुलमी सी॥६॥ संसार में रामकथा यमदूतों के मुख में यमुनाजी के समान कालिख पोतनेवाली है और जीवन्मुक ( जो जीवित दशा में हो पात्मज्ञान द्वारा सांसारिक मायायन्धन से छूट गया हो) के लिए तो माने काशी ही है। रामचन्द्रजी को पवित्र तुलसी के समान प्यारी है और तुलसीदास की हुलसी (माता) के समान हृदय से भला करनेवाली है ॥ ६॥ पुराणों का कथन है कि यमुना सूर्य की पुत्री और यमराज पुत्र हैं। यमुना ने वर पा लिया है कि जो मुझ में स्नान करे, उसे यमदूत दण्ड न दे सके। सिव प्रिय भेकल सैल सुता सी । सकल सिद्धि सुख सम्पतिरासी । सदगुन मुरगन अम्ब अदिति सी । रघुवर भगति प्रेम परमिति सी ॥७॥ शिवजी को रामकथा मेकल-पर्वत की कन्या । नर्मदा नदी) के समान प्यारी है, समस्त सिद्धि सुख तथा सम्पत्ति की राशि है, उत्तम गुण रूपी देव-समूहा की माता अदिति के समान (हितकारिणी) है और रघुनाथजी की प्रेमलक्षणामक्ति की तो पराकाष्ठा(इद) है,॥७॥ दो-रोमकथा मन्दाकिनी, चित्रकूट चित चारु । तुलसी सुभग सनेह बन, सिय रघुवीर बिहारु ॥३१॥ रामचन्द्रजी की कथा मन्दाकिनी-गहा रूपी है और मन सुन्दर चित्रकूट रूप है। तुलसीदासजी कहते हैं कि स्नेह शोभायमान वन है, जहाँ सीताजी के सहित रघुनाथजी विहार करते हैं ॥ ३१॥ राम-जानकी के विहारस्थल के वर्णन में चित्रकूट का सार रूपक वाँधा है। चौo-राम चरित चिन्तामनि चारू । सन्त सुमति तिय सुभग सिंगारू॥ जग मङ्गल गुन ग्राम शम के । दानि मुकुनि धन धरम धाम के ॥१॥ रामचन्द्रजी का चरित्र सुन्दर चिन्तामणि रूप है, जो सन्तों की सुबुद्धि रूपी स्त्री का