सटीक रामचरितमानस , मन्दोदरी-प्रार्थना। अस विचारि सुनु प्रानपति, प्रभु सन बयर बिहाइ । प्रीति करहु रघुवीर-प्रद, मम अहियात न जाइ ॥ पैलवेनियर प्रेस, प्रयाग। ४८६६