पृष्ठ:रामचरितमानस.pdf/७७२

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तृतीय सोपान, अरण्यकाण्डे । ७११ सर सक्ति तोमर परसु सूल कृयान एकहि बारहीं। करि कोप नीरघुबीर पर अगनित निसाचर डारही । प्रभु निमिष मह रिषु सर निवारि प्रचारि डार सायका । दस दस बिसिख उर माँक मारे सकल निखिचर-नायका ॥६॥ बाण, वरळी, भाला, भलुहा, त्रिशूल और तलवार एक ही बार में श्रीरघुनाथजी पर क्रोध कर के असंख्यों राक्षस चलाते हैं। प्रभुरामचन्द्रजी ने शन, के वाणों को क्षणमात्र में दूर कर अपने वाण ललकार कर चलाये । सम्पूर्ण राक्षसपतियों के हृदय में दस दस बाण मारे ॥६॥ महि परत उठि सट भिरत मरत न, करत माया अति बनी। सुर डरत चौदह सहस प्रेत विलोकि एक अवध-धनी ॥ सुर मुनि समय म देखि माया,-जाय अति कौतुक कर्यो। देखहि परस्पर राम करि संग्राम रिपु-दल लरि मर्यो ॥७॥' वे धरती पर गिरते हैं, फिर उठ कर लड़ते हैं, रोक्षस भट मरते नहीं है, बड़ी गहरी माया करते हैं। एक अयोध्यानरेश और चौदह हजार प्रेतों को देख कर देवता डरते हैं। देवता और मुनियों को भयभीत देख कर मायाधीश प्रभुरामचन्द्रजी ने बड़ा ही आश्चर्यजनक खेल किया। वे राक्षस श्रापल में (एक दूसरे को ) राम देखने लगे, इस तरह रणभूमि में शत्रु दल लड़ कर मर गया ॥७॥ राक्षसों का रामबाणों से कट कर गिरना और फिर उठ कर लड़ना, एक दूसरे कोराम रूप समझना अद्भुत रस है। उनके उठने से देवता मुनियों के मन में भय का सार होना कि ये राक्षस किस प्रकार मरेंग'? क्या रामचन्द्रजी हार जायगे। भयानक रस है। राक्षस-वध में रघुनाथजी का उत्साहित होना वीररस है। एक ही छन्द में उपयुक तीनों रस स्वतन्त्रता पूर्वक पाये जाते हैं। यह 'स्वतन्त्र रस सकर' है । ये चाहो हजार राक्षस तप कर के वर माँग लिया था कि हम तीने लोक के शिली योद्धा के अन शस्त्र सेन मरें, जब आपस में युद्ध करें तब मरें। उन्होंने लोव रक्खा था कि हम लोग काहे को आपस में युद्ध करेंगे और काहे को मरेंगे। रामचन्द्रजी माया के स्वामी हैं, ऐसी माया किया कि वे आपसही में एक दूसरे को राम समझ कर लड़ने लगे। इस तरह चौदहा हजार राक्षस लड़कर मर गये। कारण के समान कायं का वर्णन अर्थात् रामचन्द्रजी मायानाथ हैं. इसलिये ऐसी माया किया कि वे परस्पर राम समझ कर लड़मरे 'द्वितीय लम अलंकार' है। दो०-राम राम कहि तनु तर्हि । पावहि पद निर्बान । करि उपाय रिपु मारे, छन महँ कृपानिधान । राम राम कह कर शरीर त्यागते और मोक्ष पद को पाते हैं। इस तरह कृपानिधान रामचन्द्रजी ने उपाय कर के एक क्षण में शत्रुओं को मार डाला। ,