पृष्ठ:रामचरितमानस.pdf/४८

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222 @@@ 2222222222 छप गया! छप गया!! छप गया! काप्यनिर्णय 22222222] भाषा-साहित्य के प्राचार्य कविवर भिखारी दासजी के निर्माण किये हुए ग्रन्थों में काव्यनिर्णय का सर्वोत्कृष्ट स्थान है। इसमें लक्षणा, व्यजना, रस, भाव, अनुभाव, अपराक्र, ध्वनि,गुणीभूत व्यङ्ग, अलंकार,चिनकाव्य और गुण दोषादि का विस्तार से वर्णन है जिसके अध्ययन से काव्य के प्रत्येक अड़ों का ज्ञान प्राप्त होता है। इसको हमने प्राचीन प्रतियाँ से मिलान कराकर शुद्धता पूर्वक और सटीक प्रकाशित किया है। अर्थ सरल भाषा में लन के, समझने योग्य दिया गया है। इसके टीकाकार सस्पादक भनोरमा पंडित महावीर प्रसाद मालवीय वैद्य "ची कवि हैं जन्होंने अन्यान्य साहित्यिक ग्रन्थों की टीकाएँ की हैं जो हिन्दीसन्सार में श्रादर की दृष्टि से देखी जा रही है । टीका टिप्पणी के अतिरिक्त दास कवि का जीवन चरित्र और उनके बनाये अन्य अन्धों का भी परिचय दिया गया है। विस्तृत विषय-सूची लगाई गयी है । सारांश यह कि पुस्तक को सर्वाङ्ग सुन्दर बनाने में कोई बात उठा नहीं रखी गई है। लगभग ३२५ पृष्ठों में यह अन्य समाप्त हुआ है । इतने पर भी विद्यार्थियों और काव्य प्रेमियों के लाभार्थ सजिल्द प्रति का मूल्य केवल १JJ रक्खा गया है काव्यनिर्णय का इतना सस्ता, सटीक और शुद्ध संस्करण अद्यावधि कहीं भी नहीं प्रकाशित हुश्रा है। यदि आप कविता के प्रेमी हैं और काव्य के गूढ़ विषयों को जानने की इच्छा रखते हैं तो आज ही एक कार्ड लिखकर इस ग्रन्थ-रत्न को अवश्य मंगवाइये। मैनेजर बेलवेडियर प्रेस, प्रयाग। 20222222222222222222222 221 2222