पृष्ठ:रामचरितमानस.pdf/३३९

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२८ रामचरित-मानस । आप को संसार प्रसिद्ध शील कौन नहीं जानता। इस वाक्य से शील शब्द का वाच्यार्थ छोड़ कर तद्विपरीत अर्थ प्रकट होना कि दुःशील दुनियाँ जानती है। यह अर्थान्तर संक्रमित अविवक्षितवाच्य ध्वनि है। परशुराम की माता एकवार पति को जल लेने के लिए गई, जब जल लेकर आई तत्र जमदग्निजी ने ध्यान से उन के बिलम्ब का कारण जान लिया। पर पुरुष की रति देखना स्त्री के लिए महान् पाप समझ कर अपने सात पुत्रों को उन्हें बध करने के लिए कहा, परन्तु उन पुत्रों ने वैसा नहीं किया । अन्त में परशुराम को श्राशा दो, तदनुसार उन्हों ने सातों भाइयों सहित माता का सिर काट डाला। इस पर पिता प्रसन्न हो कर बोले कि वर माँगो-परशुरामजी ने कहा माता और भाइयों को जीवित कर दीजिए, मुनि ने तथास्तु कह कर रेणुका और सातों पुत्रों को जिला दिया। पिता की आक्षा का पालन कर और माता को पुनः जीवित कर उऋण हुए । यही बात लक्ष्मणजी ने ऊपर कही है। परशुरामजी की उत्पति और युद्धप्रिय होने का विषेष विवरण पीछे २६८ वें और २७०३ दोहे के नीचे दूसरी चौपाई की टिप्पणी देखो। सा जनु हमरेहि माथे काढ़ा । दिन चलि गयउ व्याज बहु बाढ़ा। अब आनिय व्यवहरिया बोली तुरत देउँ मैं थैली खोली ॥२॥ वह मानों हमारे ही मश्थे निकाला है। अधिक दिन बीत गया बहुत व्याज बढ़ा होगा। अब साहुकार ( शिव ) को बुला लाइए तर मैं तुरन्त थैली खोल हूँ ॥२॥ व्यवहरिया बुलाने का कारण यह कि पुराना ऋण होने से सूद व्याज का जोड़ना भञ्झठ है, वुलाइये तो थैली खोलें यहाँ गूढ़ व्यङ्ग है कि जब वे पाँच मुख से लेना चाहेंगे तो मैं हज़ार मुख प्रकट कर लेवा देई करूंगा। सुनि कटु बचन कुठार सुधारा । हाय हाय सब सभा पुकारा । भूगुबर परसु देखावहु मोही। विप्र बिचारि बचेउ भूप-द्रोही ॥३॥ कटुवचन सुनकर फरसा सीधे ऊपर को उठाया, सव सभाके लेग हाय हाय कर के पुकार उठे । लक्ष्मणजी ने कहा- हे भृगुश्रेष्ठ ? मुझे कुल्हाड़ा दिखाते हो ! हे रोजाओं के द्रोही ! ब्राह्मण विचार कर मैं तुम्हें बचाता हूँ ॥३॥ मिले न कबहुँ ,सुभट रन गाढ़े। द्विज-देवता घरहिँ के बोढ़े। अनुचित कहिं सब लोग पुकारे। रघुपति सैनहिँ लखन निवारे ॥४॥ हे ब्राह्मण-देवता ! आप धर ही के बड़े हैं। कभी गहरे संग्राम में अच्छे योधा से नहीं मिले हो । सब लोग अनुचित कह कर पुकारने लगे, तब रघुनाथजी ने इशारे से लक्ष्मएजी को मना किया॥४॥ वाच्या और व्यशार्थ बराबर होने से तुल्यप्रधान गुणीभूत व्यङ्ग है कि माता और अपने भाइयों को मार कर आप बड़े शूरवीर बनते हैं। घर के सिवा बाहर किस नामी योगा से गहरा युद्ध किया है ?