पृष्ठ:रामचंद्रिका सटीक.djvu/३३२

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रामचन्द्रिका सटीक। राच्यो १३ श्लोक ।। " एकवीरा च कौशल्या तस्याः पुत्रो रघूद्वहः । तेन रामेण मुक्तोसौ वाजी गृह्णात्विमम्बली" १४ दोधकछंद ॥ घोरचमू चहुँओरते गाजी । कौनेहि रे यह बाँधिय वाजी ।। बोलि उठे लव मैं यह बाँध्यो । यो कहिक धनुशायकसाँध्यो ॥ मारि भगाइ दिये सिगरे यों। मन्मथ के शर ज्ञानघने ज्यों १५ ॥ अवगाहि मँझाइकै १२ । १३ एको वीरः पतिर्यस्याः सा एकवीरा अर्थ भूमंडल में जेते प्रसिद्ध वीर हैं तिनके मध्य में एकवीर मुख्यवीर अर्थसबसों अधिक वीरहै पति जाको औ फेरि कैसी हैं कौशल्या कोशलाधिपकी कन्या हैं तिनके पुत्र रघूद्वह कहे रघुवंश के राज्यादि भारके धारणकर्ता रामचन्द्र हैं इति शेष: इन तीनों पदनसों एक बीरात्मजत्व सुकुलजात्मजत्व राज्याभि- पिक्तत्व जनायो तेन रामेण कहे तिन रामकरिकै असौ कहे यह वाजी मुक्तः कहे छोड़ो गयो है जो बली होय सो इमं कहे याको गृहातु कहे ग्रहण करै अथवा बांधे १४ । १५॥ धीरछंद ॥ योधा भगे वीर शत्रुघ्न आये। कोदण्ड लीन्हे महारोष छाये ॥ ठाढ़ो तहां एक वाले विलोक्यो । रोक्यो तही जोरनाराचमोक्यो १६ शत्रुघ्न-सुंदरीछंद ॥ बालक छां- [डिदे छोड़ि तुरंगम । तोतों कहा करों संगरसंगम ॥ ऊपर वीर हिये करुणारस । वीरहि विप्रहते न कहूं यस १७ लव- तारकछंद ।। कछु बात बड़ी न कहौ मुखथोरे।लवसों न जुरौ लवणासुर भोरे ॥ द्विजदोष नहीं बलताको सँहाखो। मरि ही जो रहो सो कहा तुम माखो १८ चामरचंद ॥राम बंधु बाण तीनि छोड़िये त्रिशूलसे । भाल में विशाल ताहि ला- गियो तें फूलसे ॥ लव ॥ घातकीन राज तातगात तेंकि पनियो। कोन शत्रुतें हत्यो जो नाम शत्रुहा लियो १६॥ आरयों को छोडिहीं से चुकेर, ता नाराचकोरोक्यो १६।१७।१८॥१६॥