१६८ रामचन्द्रिका सटीक । श्री परशुरामको मुख्य हथियार परशाही है तासों परशा जान्यो १८ रामचन्द्र मदोदरी की वृद्धि की स्तुति विभीषण सों सुन्यो है तालिये मदा नरी के साथ कहा है श्री जो गदादरा ATTITHI तो समय विचार ग्शा दे रावणको खरि का पठार है . मा महोदरी साहित रापण दुप पावे अथवा कुमाणादि क मा सों राण भीन साध लिय पठागा है एमा हाद कि आपली शरणमा नणि मारे तो दमरो शरणागत पक्षधम प्रनिपालन गरिसरणको रतदी ने तालिम जो गदोदरी इन यचनाका मुरी है तो समय विचारि ग्जादि दे लरिवीके लिये पठाइ है सपिके लिये ना पगार १६ । २० ॥ दून-दडक॥ भूतलके इद्र भूमि बैठे हुते रामचन्द्र मारिन कनक मृगछालहि विदायेजू । कुभहर भकर्ण नासाहर गोद शीश चरण अप अरि उर लायेजू ॥ देशातक नारांतक त्योंही मुसक्यात पीर विभीपण बैनतन कान रुस वायेजू । मेघनाद माराममहोदर पाणहर बाण त्यों दिलो- कत परम सुख पायेज २१ गमनदेश-विजयछ। भूमि दई भुवदेवनको भृगुनदन भूपन सौ वर लैक गामन स्वर्ग दियो मघौ सो वली बलि बाधि पनाल पठेकै सधिकि वातनको प्रतिउत्तर प्रापु नहीं कहिये हिनदीन्ही है लक विभी- पणको अब देहिं कहा तुमको यह देकै २२ मदोदरी-मालिनी छद ॥ तत्र राब कहि हारे रामको दून आयो । अब समुझि परी जो पुत्र भैया जुझायो । दशमुख सुस जी रामसों हो लरों यों । हरि हर सन हारे देवि दुर्गा लरी ज्यों २३ ॥ रावण पढेउ कि फेरि भाति न राम रन्द्र सो देटिगो है ताको उत्तर याम दियो कुभहर भी उभरण नारााहर हाग्रीन अप औ अक्षको अरि हनुमान शत्रु सत्रये प्रकाश में क्या है कि जिने भरपादि पलिष्ठ पारे। सग्राममं अगर चीर मारे' याम शिरोध होत है नासों या जमाया दूसगे LOWER
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