रामचन्द्रिका सटीक। सुदर २५ । ३६ स्त्रीजित कहे जो स्त्री करिकै जीतो गयो है अर्थ स्त्रीके वश्य है औ धातुल जो बहुत बातें कहै ३७ ॥ ईशईश जगदीशवखान्यो। वेदवाक्य बलते पहिचान्यो। ताहि मेटि हठिकै रहिहों तो गगतीर तनको तजिहों तो३८ दोहा । मौन गही यह बात कहि बोंडो सबै विकल्प ॥भ- रत जाइ भागीरथीतीर कखो संकल्प ३६ इंद्रवज्राबद ॥ भागीरथीरूप अनूपकारी चंद्राननी लोचनकंजधारी॥ बानी बखानी मुख तत्त्वशोथ्यो।रामानुजै आनि प्रबोधबोध्यो४० उपेंद्रवज्राचंद ॥ अनेक ब्रह्मादिन प्रत पायो । अनेकपा वेदन गीत गायो॥ तिन्हें न रामानुज बंधु जानौ । सुनो सुधी केवल ब्रह्म मानौ ४१ निजेच्छया भूतल देहधारी। अधर्मसंहारक धर्मचारी॥चले दशग्रीवहिं मारिबेको। तपी व्रती केवल पारिवेको ४२ उठो हठी होहु न काज कीजै। कहें कछू राम सो मानि लीजै ॥ अदोष तेरी सुत मातु सोहै । शोको न माया इनको न मोहै ४३॥ ईश जे विष्णु हैं और ईश जो महादेव हैं औ जगदीश जे ब्रह्मा है तिन यह पात बखान्यो है कि स्त्री जितादिकन के वचन मेटे सो पातक नहीं होत सो हम वेदवाक्य बलों पहिचान्यो है अर्थ वेद में तीन्यो देवके ऐसे वचन हैं ते हम सुन्यो है अथवा तीनों देवन पखान्यो है नौ वेदवाक्य वलहूसो पहिचान्यो अर्थ वेदह यहै कहत हैं ३८ विकल्प विचार भागी- रथी मदाकिनी ३६ तव कहे सारांश शोध्यो कहे इंन्यो ता सारांशयुक्त मुखसी पाणी पखानी अथवा ऐसी वाणी अखानी जानें सत्य जो राम' | कथा तय है वाकरिकै अपने मुसको शो मा रायानुन ने भरत है तिनको प्रबोध कई उत्तमबान आनि कन्याइ बोभ्यो पोध करचो षोध्योपद कहि या जनायो कि रामचन्द्र प्रतिवधु दरूपी निशामें सोवव तामें अगायो ४० । ४११४२ सुन भरतको सबोधन है यामी या
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