रामचन्द्रिका सटीक। कहे यश औ मुक्तिको देत है तो सौन्दर्यादि जे दृष्टफल हैं ते जहां देखिये तहां रामनामही के प्रभावसों जानियो औ मुक्लि अष्टमल है ताके अर्थ अन्त्य अवस्था में सब रामनाम कहावत हैं यह सनातन रीति चली आपति है तासों जानियत है कि मुक्ति को दाता रामनाम छोड़ि दूसरो नहीं है अ- थवा रूप जो है वेप तामें अणिमादि सिद्धि देते हैं जैसो सूक्ष्मरूप चाहें तैसो धरै ौ गुणन में गरिमा सिद्धि देत हैं रामनाम के जप प्रभावते सब गुण विद्यादि गुरु होत औ भक्ति में महिमा सिद्धि बड़ाई देत है जो राम नाम जपत है सो बड़ो भक्त कहावत है औ नाममें मुक्ति को देतहै अर्थ राम भजन प्राणिन की मुक्तिको जीवन में सब नाम गनत हैं अथवा नाम यश औ मुक्ति को देत है सो यह कहे ऐसो प्रभाव जानि केशवदास जो है सो पुनरुक्ति भय छांडिकै अनुदिन राम नाम को रटत है या अन्ध में राम नाम वस्तु है | ताको निर्देशनमा मात्र है तासों वस्तु निर्देशात्मक मंगल है ३ ॥ सुगीतछंद ॥ सनाब्बजाति गुनाव्य हैं. जगसिद्ध शुद्ध | स्वभाव । कृष्णदत्त प्रसिद्ध हैं महि मिश्र पंडितराव ॥ ग- णेश सो सुतं पाइयो बुध काशिनाथ अगाध । अशेषशास्त्र बिचारिक जिन जानियो मत साध ४ दोहा।। उपज्यो तेहि कुल मन्दमति शठ कविकेशवदास || रामचन्द्रकी चन्द्रिका भाषा करी प्रकास ५ सोरहसै अट्ठावन कातिक सुदि बुध वार ॥ रामचन्द्रकी चन्द्रिका तब लीन्यो अवतार ६ बाल- मीकिमुनि स्वम में दीन्हो दरशन चारु ॥ केशव तिनसों यों कह्यो क्यों पाऊं सुखसारु ७ मुनि-श्रीचंद ॥ सिद्धि ऋद्धि ८ सारछंद ॥रामनाम सत्यधाम और नामको न काम १०॥ गुलाब्य गुणनों पूरित औ साधुमत उत्तममत छंद उपजाति है जा छंद में और और द्वै आदि छंद के चरण होइँ सो छंद उपजाति कहावति है ४१५ जो मैं तिथि नहीं कह्यों सो वार पदते सात वारहैं तासों सप्तमी तिथि सब कहते हैं परंतु ज्योतिष के ग्रन्थ ग्रहलाघवादि के मत सों कल्पांत अहर्गण किये वुधवार पंचमी औ द्वादशीको आवतहै सो द्वादशी भद्रातिथि है और
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