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राबिन्सन क्रूसो ।

१६५९ ई० की ३० वीं सितम्बर को मैं यहाँ किनारे आ लगा ।

इसके बाद उस तख़्ते को एक लम्बे से चौकोर खूँटे में लटकाकर मैंने वहाँ गाड़ दिया जहाँ पर मैं पहले किनारे पर आ लग था ।

उस चौकोर खूँटे में प्रतिदिन मैं छुरी से एक एक चिह्न करने लगा । प्रति सातवें दिन का दाग़ कुछ बड़ा कर देता था, और महीने की पहली तारीख का दाग उससे भी बड़ा कर देता था । इस प्रकार मैंने अपनी यन्त्री बना कर के तिथि, सप्ताह, महीना और वर्ष जानने का उपाय कर लिया ।

मैं जहाज़ पर से कुछ कोरा काग़ज़, कलम, रोशनाई, तीन चार कम्पास, नक्शा, किताब, और बाइबिल की पुस्तकें ले आया था । हमारे जहाज़ पर दो बिल्लियाँ और एक कुत्ता था । मैं पहली ही बार जाकर जहाज़ पर से दोनों बिल्लियों को ले आया था । कुत्ता आप ही तैर कर मेरे पीछे पीछे चला आया । यही तीनों इस समय मेरे संगी-साथी थे । बिल्ली और कुत्ते ने बहुत दिनों तक मेरा बहुत कुछ उपकार किया था । मैं चाहता था कि वे मर साथ बात करें, पर एसा होना कब संभव था ! जो हो, मैं उनके साथ रहने से बहुत खुश था ।

जब तक मेरे पास रोशनाई रही तब तक मैं सब बातों का विवरण बहुत सफ़ाई से लिखता जाता था । पर जब स्याही चुक गई तब मैं किसी उपाय से भी स्याही न बना सका ।

घर द्वार बना लेने पर मुझे कई वस्तुओं की कमी का अनुभव होने लगा । खनती, कुदाल, खुरपी, आल-पीन,