दो बन्दूकें और मोम वगैरह बेंचने पर हमें कोई दो हज़ार
रुपया मिले । यही पूँजी लेकर हम ब्रेजिल के किनारे उतरे ।
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क्रूसो की खेती।
ब्रेज़िल में आने के कुछ ही दिन बाद कप्तान ने एक भलेमानस के यहाँ मेरी सिफ़ारिश कर दी । उनके ऊख की खेती और चीनी की कारखाना था । कुछ दिन उनके यहाँ रह कर मैंने ऊख की खेती और चीनी बनाने की रीति सीखी । देखा, किसान लोग खेती की बदौलत सहज ही और शीघ्र धनवान् हो जाते हैं । इससे मेरी इच्छा भी खेती करने की हुई । मेरे पास जो कुछ पूँजी थी उसमें जितनी जमीन मिली, मैंने ले ली; और इँगलैन्ड में कप्तान को विधवा स्त्री के पास मेरा जो रुपया जमा था वह मँगा लेने का विचार किया ।
मेरे खेत से सटा हुआ जिसका खेत था वह लिसबन
शहर का एक पोर्तुगीज़ था । उसके माँ-बाप अँगरेज थे ।
नाम उसका वेल्स था । मेरी ही ऐसी उसकी भी कई बार
दुर्दशा हो चुकी थी । हम दोनों, दो वर्ष तक, केवल पेट
भरने को अन्न संग्रह करने के लिए ही खेती करते रहे,
लाभ के लिए नहीं ! हम लोग क्रम क्रम से खेती बढ़ाने लगे ।
तीसरे साल हम लोगों ने तम्बाकू की खेती की और उसके
अग्रिम वर्ष में ऊख बोने की तैयारी करने लगे । किन्तु हम
दोनों को खेत आबाद करने के लिए मज़दूरो की आवश्यकता
होने लगी । तब मैंने समझा कि इकजूरी को छोड़ देना