रहे थे या परस्पर लड़ रहे थे यह ठीक समझ में न आया ।
उनको आते देख कर जितने लोग किनारे पर खड़े थे वे,
विशेष कर स्त्रियाँ, भयभीत होकर भागने लगीं; किन्तु वे दोनों
पशु काफिरों की ओर ध्यान न दे कर पानी में जा गिरे। कुछ
देर वे पानी में उछल कूद कर तैरने लगे । आख़िर उन दोनों
में एक हमारी नौका के बहुत हीनिकट आया । यह देख हम
बन्दूक में गोली भर कर तैयार हो गये और इकजूरी से ऊपर
दोनों बन्दूकों में गोली भरने को कहा । वह जंगली
जानवर जब हमारे लक्ष्य के भीतर आया तब हमने
गोली मारी । गोली ठीक उसके सिर में लगी । वह
उसी घड़ी डूब गया और कुछ ही देर में फिर उतरा
आया । वह मृत्यु की यन्त्रणा से छटपटाता हुआ पानी में
ऊबता डूबता किनारे की ओर फिर चला । किन्तु कछार
के ऊपर जाने के पहले ही मर गया । दूसरा पशु,
बन्दूक़ की आवाज़ से डर कर, पहाड़ की ओर जी छोड़
कर भागा ।
बन्दूक़ की आवाज़ सुनकर और आग की झलक देखकर हबसियों के आश्चर्य और भय की सीमा न रही । कितने ही लोग तो भय से मूर्छित होकर धरती पर गिर पड़े । उस जानवर के मर जाने पर हमने उन लोगों को संकेत किया कि उस जन्तु को पानी से निकाल कर ऊपर ले जाओ । तब वे लोग साहस पूर्वक पानी में घुस कर उस को खोजने लगे । उसे खींच कर जब वे लोग ऊपर ले आये तब हमने उसे पहचाना वह बहुत बड़ा चीता था । उसका अंग गोली और छरों से छिन्न भिन्न हो गया था । हबशियों ने प्रसन्न होकर हमारी प्रशंसा के हेतु