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चीन में क्रूसो।


शासन-प्रणाली अपूर्ण, सैन्य अशिक्षित और वैज्ञानिक विषय की अनभिज्ञता अधिकतर देखने में आई। हम लोग चीन की राजधानी पेकिन देखने चले। उसी समय एक प्रादेशिक शासनकर्ता पेकिन जारहे थे। हम उन्हींके साथ हो लिये।

चीन के सभी स्थान मनुष्यों से भरे थे किन्तु अधिकांश लोग दरिद्र और मूर्ख थे। तथापि इस अवस्था पर भी लोगों के अहङ्कार का अन्त नहीं। चीन के हाकिम राजधानी को जारहे हैं। रास्ते के लोग उनके लिए रसद जमा करते हैं। वे अपने ख़र्च से फ़ाज़िल चीज़ हम लोगों के हाथ बेच कर मजे में चार पैसे पैदा कर रहे हैं। उस पर भी ये राजप्रतिनिधि हैं।

रास्ते में कोई दुर्घटना नहीं हुई। केवल एक दिन एक छोटी सी नदी पार होने के समय मेरा घोड़ा, पाँव पिछलने से, गिर पड़ा और बेवक्त़ मुझे स्नान करा दिया।

पचीस दिन रास्ता चल कर हम लोग पेकिन पहुँचे। हम पाँच आदमी थे। मैं, मेरे भतीजे का दिया हुआ नौकर, मेरा साझेदार अँगरेज़, उनका नौकर और वृद्ध महाशय। ये भी पेकिन देखने हमारे साथ आये थे।

एक दिन वृद्ध ने मेरे पास आकर हँसते हँसते कहा-"एक बहुत अच्छी खबर है, सुनने से आप लोग खुश होंगे।" वह सुसंवाद सुनने के लिए हम लोगों ने उत्सुक होकर पूछा। उन्होंने कहा-व्यापारियों का एक दल स्थल-मार्ग से साइबीरिया होकर यूरोप जा रहा है। हम लोग चाहें तो उनके साथ यूरोप लौट जा सकते हैं।