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राबिन्सन क्रूसो।


सुमात्रा द्वीप के निकट एक दुर्घटना हो गई है। जहाज़ का कप्तान जब मलय देशवासियों के हाथ से मारा गया तब जहाज़ के नाविकगण जहाज़ चुरा कर ले गये। फिर उन नाविकों ने लुटेरों के हाथ वह जहाज़ बेच डाला। वह लुटेरा जहाज़ स्याम-उपसागर में पोर्चुगीज़ (ओलन्दाज) और अँगरेजी जहाज़ के हाथ पकड़ा ही जाने को था पर जरा सा अवकाश मिल जाने से वह भाग गया। उस लुटेरे जहाज़ की बात सभी जहाज़ी सुन चुके हैं। देखते ही उसे पहचान लेंगे। अब जहाँ उसे एक बार पकड़ पावेंगे तहाँ फिर उसे कुछ कहने का भी मौका न देंगे। गिरफ्तार होते ही उन नाविकों को मस्तूल को रस्सी से लटका देंगे।

हाय हाय! हे भगवान्! यह हमारी ही कीर्ति-कहानी है और प्राण जुड़ाने वाले भविष्य चित्र का निदर्शन है। वह बूढ़ा पथ-प्रदर्शक इस समय सम्पूर्ण रूप से हमारी आज्ञा के अधीन है। इसका उतना भय नहीं। यह सोच कर मैंने उससे खुलासा कहा-"महाशय, इसी कारण हम लोग उद्विग्न होकर उत्तर ओर दौड़े जा रहे हैं। वे भागने वाले हमी लोग हैं। लुटेरे न होने पर भी हम उस कलङ्क से कलङ्कित हैं।" इसके बाद मैंने अपने जहाज़ का समस्त इतिहास उससे कह सुनाया। सुन कर वृद्ध बेचारा अवाक् हो रहा। उसने हम लोगों से कहा-आप लोगों ने बहुत दूर उत्तर ओर आकर सचमुच ही बहुत बुद्धिमानी का काम किया है। मैं आपके इस जहाज़ को बेच कर एक दूसरा जहाज़ ख़रीद दूँगा। उससे आप लोग निर्विघ्न बंगाल को लौट जा सकेंगे।

मैंने कहा-महाशय! जहाज़ तो आप बेव देंगे, किन्तु जो भलेमानस इस जहाज़ को खरीदेंगे उनके साथ तो यह