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क्रूसो का छुटकारा।

यह विचित्र लीला देख कर हँसते हँसते मेरा दम फूलने लगा। ऐसा कुतूहल-पूर्ण विजय मैंने और कभी न देखा था। पहले ही जो एक चीनी मर चुका था उसे छोड़ और कोई मरा नहीं। जीत हमारी हुई। प्राण क्या ऐसी उपेक्षा की वस्तु है? मेरा सिद्धान्त तो यही है कि अपनी कुछ हानि भी हो तो भी किसीका प्राण लेना ठीक नहीं। इसीसे यह बिना खून-खराबी का विजय मेरे विशेष आनन्द का कारण हुआ।

इतने में हम लोगों ने जहाज को एक तरह से दुरुस्त कर लिया। अब यहाँ रहना निरापद नहीं हो सकता। चीनी लोग अब ऐसा दल बाँध कर आवेगे कि अलकतरे से काम न चलेगा। दूसरे दिन खूब तड़के हम लोग पाल तान कर रवाना हो गये। जहाज के भीतर पानी पाना बन्द हो गया। हम लोगों ने टङ्कइन-उपसागर में जाकर देखा कि वहाँ और भी कितने ही जहाज़ हैं। इसलिए हम लोग फ़ौरन वहाँ से फारमोसा टापू की ओर चले गये। वहाँ जहाज लगा कर हम लोगों ने खाने-पीने की वस्तुओं का संग्रह कर लिया। वहाँ के लोगों ने अपनी शिष्टता दिखला कर हम लोगों को तृप्त किया। हम लोग क्रमशः उत्तर ही की ओर इस मतलब से जाने लगे, कि अँगरेजो के जहाज जहाँ तक जाते हैं उस सीमा से बाहर हो जाने से हम लोग निश्चिन्त हो सकेंगे।


क्रूसो का छुटकारा

हम लोग जब किनारे पर जहाज़ लगाने के लिए बन्दर खोज रहे थे तब एक दिन एक नाव हमारे जहाज के पास आ लगी। उसमें बैठ कर एक वृद्ध पोर्चुगीज़ हम लोगों को