पृष्ठ:राबिन्सन-क्रूसो.djvu/३७

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२८
राबिन्सन-क्रूसो ।


हमारी नाव को जब्त कर लें । इकजूरी करीब एक मील पर एक ढालू जगह देख कर उसी ओर गया । थोड़ी ही देर बाद देखा, वह दौड़ा हुआ आ रहा है । मैंने समझा, शायद किसी दुष्ट नरघाती मनुष्य ने उसका पीछा किया है, या किसी हिंस्र को देखकर वह डर से भागा आ रहा है । मैं उसकी ओर दौड़ कर गया । उसके समीप जाकर मैंने देखा, वह खरगोश के मानिन्द एक जानवर को मार कर पीठ पर लटकाये लिये आ रहा है, यह देख कर मैं बहुत खुश हुआ । मैंने उसका मांस चख कर देखा, अच्छा, सुस्वादु था । विशेष आनन्द मुझे इस बात से हुआ कि इकजूरी को मीठा पानी मिल गया और किसी जंगली आदमी ने उस पर आक्रमण नहीं किया । इससे वह भी बहुत प्रसन्न था ।

पानी के लिए हम लोगों को विशेष कष्ट न उठाना पड़ा । क्योंकि नदी का जल, भाटे के समय, मुहाने से कुछ ही दूर पर बहुत बढ़िया सुस्वादु था, ज़रा भी खारी न था । हम वहीं से अपनी कलसी भर लाये और खरगोश का मांस पका कर हम ने खाया-पिया । उस देश में कहीं आदमी का नाम निशान तक न देख कर हम फिर बहाँ से चलने को प्रस्तुत हुए ।

इसके पूर्व एक बार हम इस देश में वाणिज्य करने आये थे । हम अटकल से इस बात का अनुभव कर रहे थे कि यहाँ से कनेरी और केपवार्ड द्वीप-समूह बहुत दूर न होगा । हमारे मन में इस बात की आशा होने लगी कि अँगरेज़ लोग जहाँ तिजारत करते हैं वहाँ पहुँचने से, संभव है, उन लोगों का कोई जहाज़ देख पड़े और वे लोग हमारा उद्धार करें