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द्वीप में असभ्यों का उपद्रव।


बन्दी-भृत्य भी पाया जो स्पेनियों को खबर देने गया था, और वह क़ैदी भी पाया है जिसे कुछ देर पहले हाथ-पैर बाँध कर पेड़ के नीचे डाल दिया था। स्पेनियर्डों ने आते समय उसके हाथ-पैरों का बन्धन खोल कर उसे साथ ले लिया था। गुफाके भीतराने पर बन्दी को फिर बाँध कर दूसरे दो बन्दियों के साथ बैठा दिया।

द्वीपवासियों को ये बन्दी भार-स्वरूप जान पड़े। क्योंकि ये लोग अधीनता में नहीं रहना चाहते थे। उनको घर में खाली बिठा कर खिलाना भी कठिन है; और जो छोड़ दें तो वे देश जाकर अनर्थ खड़ा करेंगे। ऐसी हालत में उनके बध के सिवा और कोई उपाय नहीं। किन्तु सर्दार उन लोगों को मारने की अनुमति नहीं देते। उन्होंने हुक्म दिया कि ये बन्दी अभी मेरी बड़ी गुफा में रहे, दो स्पेनियर्ड उनके पहरे पर रहेंगे, और स्पेनियर्ड लोग उनके खाने-पीने का प्रबन्ध करेंगे।

स्पेनियर्डों के आने से साहस पाकर अँगरेज़ उन असभ्यों की खोज में बाहर निकले और बड़ी सावधानी से कुछ दूर आगे जाकर देखा कि सभी असभ्य जाने के लिए नाव पर सवार हो रहे हैं। उन लोगों के चलते समय बन्दूक की गोली से एक बार बिदाई का संभाषण न कर सकने के कारण वे उदास हुए। किन्तु उन को जाते देख कर प्रसन्न भी हुए। अँगरेज़ों का घर-द्वार खेती बाड़ी सब नष्ट हो गई थी। इस कारण सभी ने मिलकर हाथों-हाथ थोड़े ही दिनों में उनकी गृहस्थी का सब सामान ठीक कर दिया। यहाँ तक कि उन तीन दुःशील अँगरेज़ों ने भी उनकी सहायता से मुँह न मोड़ा।

असभ्यों के चले जाने पर भारी तूफ़ान उठा। दो दिन के बाद द्वीपवासियों ने बड़ी खुशी के साथ देखा कि असभ्यों,