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राबिन्सन क्रूसो।


उन असभ्यों को एक कुल्हाड़ी, एक टूटी कुञ्जी, एक छुरी, और पाँच छः शीशे की गोलियाँ दीं। इन कई साधारण वस्तुओं को पाकर वे असभ्य गण मारे खुशी के उछल उठे। इसके बाद उन असभ्यों ने बन्दियों के हाथ-पैर बाँध कर उन्हें नाव में रख दिया। हम लोगों ने वहाँ विलम्ब करना उचित न समझ शीघ्र यात्रा की। कौन जाने, पीछे वे असभ्य हमें नर-मांस खाने के लिए कहीं निमन्त्रण ही दे बैठे। हम लोगों ने रास्ते में एक द्वीप में आठों बन्दियों को उतार कर छोड़ दिया। हम इतने लोगों को लेकर क्या करते? या उन्हें खाने ही को क्या देते? स्त्रियों को स्वस्थ और सबल देख कर हम लोगों ने अपने लिए रख छोड़ा। बाकी बन्दियों के साथ हमने बातचीत करने की चेष्टा की, पर कुछ फल न हुआ। हम लोग जभी कुछ पूछते थे तभी वे भय से काँपने लगते थे। वे समझते थे कि इसी बार हम लोग उन्हें खा डालेंगे। हम लोगों ने ज्योंही उनका बन्धन खोलना चाहा त्योंहीं वे आर्तस्वर से चिल्ला उठे मानो अभी उनके गले पर तेज़ छुरी फेरी जायगी। उनको जब कुछ खाने के लिए दिया जाता तब वे यही समझते कि उनको मोटा-ताज़ा करने का उपाय किया जा रहा है। किसी की ओर देखने से वह सकुच जाता था। वह समझता था कि वह मारे जाने के योग्य हृष्ट-पुष्ट है या नहीं, इसीकी तजवीज हो रही है। उन लोगों के साथ विशेष सद्व्यवहार करने पर भी उनके जी में मारे जाने की आशङ्का प्रतिपल बनी ही रहती थी। हम लोग उन्हें इस द्वीप में ले आये हैं और घर के भीतर बन्द कर आये हैं।"

यह अद्भुत वृत्तान्त सुन कर सभी स्पेनियर्ड कुतूहलाक्रान्त होकर उनको देखने चले। उन लोगों ने अँगरेज़ों के