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राबिन्सन क्रूसो।

उनसे कहा कि टापू में कोई बड़ा आदमी आया है। सर्दार ने कहा-"असभ्य लोग आये होंगे।" उसने कहा-"नहीं नहीं, असभ्य नहीं हैं। पोशाक पहने हैं, कन्धे पर बन्दूक रक्खे हैं।" सर्दार ने कहा-तो फिर डरने की क्या बात है? यदि वे लोग असभ्य नहीं हैं तो वे हमारे मित्र ही होंगे, क्योंकि किसी सभ्य जाति से हम लोगों का मङ्गल के सिवा अमङ्गल होने की आशङ्का नहीं है।

इस तरह बातचीत हो ही रही थी कि इतने में उन तीनों अँगरेज़ों ने किले के समीपवर्ती उपवन से निकल कर स्पेनियर्डों को पुकारा। वे अपने परिचित अँगरेज़ों का कण्ठस्वर पहचान कर भेद समझ गये। परन्तु वे अँगरेज़ कहाँ से, और किस उद्देश्य से, लौट आये हैं इसका असली तत्त्व समझने की चिन्ता भी तो कुछ कम न थी।

स्पेनियर्डों ने उन्हें किले के भीतर बुला कर उनसे वृत्तान्त पूछा। अँगरेज़ों ने यों कहना प्रारम्भ किया-

"हम लोग दो दिन में समुद्र के उस पार गये, किन्तु वहाँ के निवासी हम लोगों के आगमन से डर कर तीर-धनुष सँभाल कर के हमारी अभ्यर्थना करने लगे। हम लोग सशस्त्र अभ्यर्थना को पसन्द न करके वहाँ उतरने का साहस न कर सके। छः सात घंटे किनारे किनारे नाव ले जाकर हम लोगों ने और भी कई टापू देखे। एक जगह हम लोग अपने भाग्य के भरोसे उतर पड़े। वहाँ के रहनेवालों ने हम लोगों को भ्रातृ-भाव से ग्रहण किया और फल-मूल तथा सूखी मछलियाँ खाने के लिए देकर आतिथ्य-सत्कार किया। क्या स्त्री क्या पुरुष, सभी हम लोगों के अभाव-मोचन के लिए उत्साह-